नए वर्ष के लिये संकल्प
मन उपवन नित सजा रहे, न उगने पाए खर-पतवार
मंजिल की बाधा बन जाये, जमे न ऐसा कोई विचार
आशा के कुछ पुष्प उगायें, पोषण दे, ऐसा ही सोचें
कंटक चुन-चुन बीनें पथ से, सदा अशुभ को बाहर रोकें
प्रज्ञा की सुंदर बेल हो, दृढ़ इच्छा का वृक्ष लगे
प्रेम की धारा बहे सदा, बुद्धि, ज्योति बनी जगे
अपसंस्कृति को प्रश्रय न दें, सुसंस्कृति ही पनपे
तहस-नहस न हो मन उपवन, जीवन निशदिन महके
नया-नया सा नित विचार हो, भीतर ज्ञान की ललक उठे
जिज्ञासा जागृत हो मन में, जिजीविषा भी प्रबल रहे
रहे जागरण भीतर प्रतिपल, प्रतिपल श्रद्धा हो अर्जित
आगे ही आगे ही बढ़ना है, भीतर स्मृति हो वर्धित
नया-नया सा नित विचार हो, भीतर ज्ञान की ललक उठे
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जागृत हो मन में, जिजीविषा भी प्रबल रहे
is sankalp ko prabhu ka aashish mile
आशा के कुछ पुष्प उगायें, पोषण दे, ऐसा ही सोचें
जवाब देंहटाएंकंटक चुन-चुन बीनें पथ से, सदा अशुभ को बाहर रोकें
सुन्दर सन्देश ..नए वर्ष में सच ही कुछ नया संकल्प लें ..
बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट|
जवाब देंहटाएंरहे जागरण भीतर प्रतिपल, प्रतिपल श्रद्धा हो अर्जित
जवाब देंहटाएंआगे ही आगे ही बढ़ना है, भीतर स्मृति हो वर्धित
..sundar prerak sankalp....
navvarsh ke agrim shubhkamnayen!
प्रतिपल की श्रद्धा...गहन विचार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेश देता संकल्प
जवाब देंहटाएंbahut sundar prernadayak sandesh deti hui rachna.
जवाब देंहटाएंहे जागरण भीतर प्रतिपल, प्रतिपल श्रद्धा हो अर्जित
जवाब देंहटाएंआगे ही आगे ही बढ़ना है, भीतर स्मृति हो वर्धित...बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..
आशा के कुछ पुष्प उगायें, पोषण दे, ऐसा ही सोचें
जवाब देंहटाएंकंटक चुन-चुन बीनें पथ से, सदा अशुभ को बाहर रोकें
बहुत सुंदर कामना है आपकी, काश! यह सच हो जाये अच्छी रचना बधाई
very nice post.
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