गुरुवार, दिसंबर 24

क्रिसमस की पूर्व संध्या पर

क्रिसमस की पूर्व संध्या पर


 याद है
छत से लटकता वह लाल सितारा
नन्हा सा बल्ब जिसमें छुपा था
गमले में उगे क्रिसमस ट्री पर
 सजे नन्हे-नन्हे खिलौने और गुड़िया का घर  
घर से आती केक के पकने की मीठी सुवास और
एक के बाद एक यीशू के गीत
 छोटी बहन के अधरों पर
स्कूल के चैपल में उसने सीखे थे जो
सोना व लोबान लेकर आये
तीन सिद्ध पुरुषों की बानियाँ
मरियम और जोसफ की कहानियाँ
भेड़ों के बीच जन्मा नन्हा मसीहा

क्रिसमस पर कितना कुछ याद आता
संत निकोलस की दरियादिली
रेनडियर पर होकर सवार
बर्फ पर कैसे उसकी स्लेज फिसलती
और रातों को वह जुराबों का टांगना
फिर सुबह होते ही भागकर देखना
इस बरस सांता ने क्या दिया
क्रिसमस है कितना अनोखा !
ख्वाब भरता है आँखों में
दिलों में भरता है मिठास
और गीत भरता है अधरों पर
चर्च से आती घंटियों की आवाज
याद दिलाती.. किसी मधुर संगीत की
जो सोया है अभी आत्मा में.. जिसे जगाना है
लाल फ्रॉक्स में सजी नन्हीं बालिकाओं
और सुंदर ड्रेस में सजे बालकों के कैरोल
भर जाते हैं आह्लाद भीतर
लगता है तब जैसे
क्रिसमस का अर्थ गुनगुनाना है
यह उल्लास का प्रतीक है
विश्वास और आस का प्रतीक भी
मुबारक हो आप सभी को
अनोखा यह त्योहार
भर जाये जिंदगी में सुहानी बहार !


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