गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित
जैसे चन्द्र चमकता नभ में
भूमंडल पर देश सैकड़ों
भारत की है बात निराली,
जैसे चन्द्र चमकता नभ में
दिपदिप भारत की फुलवारी !
जिओ और जीने दो’ का यह
मन्त्र सिखाता सारे जग को,
योग शक्ति से खुद को पायें
राह दिखाता हर मानव को !
प्रकृति का सम्मान करें सभी
शांति पाठ का गायन निशदिन,
मूषक, मोर, बैल
वन्दित हैं
हर प्राणी का स्थान है उचित !
गौरवशाली परंपरा है
देवों से साहस पाता है,
सृष्टि के कई भेद जानता
युद्धों में गीता गाता है
मेधा, प्रज्ञा, समझ जगाता
सुप्त चेतना परम जगाकर,
दुनिया में परचम लहराता
वैदिक संस्कृति को पुनः लाकर !
भारत देश जवानों का है
श्रमिकों और किसानों का है,
जागरूक महिलाओं का भी
अलबेले दीवानों का है !
प्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
हटाएंअनीता जी,सुन्दर देश-भक्ति गीत।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार राकेश जी !
हटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २९ जनवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारी' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार', सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
बहुत बहुत आभार ध्रुव जी !
हटाएंबहुत सुंंदर ....जय हिन्द ....।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार शुभा जी !
हटाएंबहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी !
जवाब देंहटाएंजय हो भारत देश की निराला देश सभी का देश ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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