सारा आकाश मिला है
सारा आकाश मिला है
शब्दों के पंख मिले हैं
सारा आकाश मिला है,
दिल में इक विरह अनोखा
रब में विश्वास मिला है !
पलकों में मोती पलते
नयनों में दीप संवरते,
अधरों पर गीत मिलन के
राहों में रहे बिखरते !
अंतर में अभिलाषा है
खिलने की शुभ आशा है,
बाहर आने को आतुर
बचकानी सी भाषा है !
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'बुधवार' २४ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
हटाएंसुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंआशाओं और आत्मविश्वास से भरी सुन्दर रचना आदरणीय अनिता जी --- सस्नेह शुभकामनाएं मेरी --
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार रेणु जी !
हटाएंआदरणीय अनीता जी----------------बार -- बार लिखने के बावजूद आपके ब्लॉग पर टिपण्णी दिखाई नहीं पढ़ती | बहुत अच्छी लगी आपकी रचना | सस्नेह शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंरेणु जी, टिप्पणी प्रकाशित होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, स्वागत है आपका..
हटाएं