कुछ दोहे
वाणी से साथी बनें, वाणी अरि बनाये
वाणी अगर कठोर है,मनस सुख ले जाये
वाणी के सायक चलें, कुछ भी रहे न शेष
अभी-अभी जो राग था, बन जाता है द्वेष
वाणी का आदर करें, करें न इससे चोट
अपने जन ही ग़ैर बन, व्यर्थ निकालें खोट
वाणी जोड़े दिलों को, सुख का है आधार
वाणी ही संबल बने, बन जाती है प्यार
वाणी इक वरदान है, देवी की है देन
सम्मान इसका रखें, येन, केन, प्रकारेण
हमारी संसद के लिए अच्छा संदेश है :)
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 10 अगस्त 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत बहुत आभार रवींद्र जी!
हटाएंसुंदर दोहों के माध्यम से अभिव्यक्त सत्य
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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