सोमवार, अगस्त 28

महाकाल

महाकाल 


ओपेनहाइमर ने

 पूछा था एक दिन 

क्या होता है 

जब तारे मरते हैं ​​​​​​

शायद एक महाविस्फोट !!

बढ़ता ही जाता है गुरुत्वाकर्षण 

कि सब कुछ समेट लेता है अपने भीतर 

प्रकाश भी खो जाता है 

एक न एक दिन ठंडा होगा सूरज भी हमारा 

जिसकी नाभि में चल रहा है 

निरन्तर परमाणुओं का संलयन 

जीवन का स्रोत है जो आज 

कल महाकाल भी बन सकता है 

वह जानता था

 कि परमाणु बम भी 

एक छोटा सूरज है 

जो बनते ही विनाश की राह पर चल पड़ेगा 

कि मारे जा सकते हैं लाखों निरीह जन

जैसे जानते थे कृष्ण 

बचे रहेंगे केवल पांडव 

निर्णय लिया संहार का 

ताकि थम जाये युद्ध की लिप्सा 

जापान को महँगा पड़ा यह सबक़ 

पर सदा के लिए शांति प्रिय देश बना 

थम गयीं उसकी महत्वाकांक्षाएँ 

किंतु ओपनहाइमर

दोषी है या नहीं 

कौन करेगा इसका निर्णय 

एक वैज्ञानिक के नाते शायद नहीं 

एक मानव के नाते 

शायद हाँ !   

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