ऊर्जा
ऊर्जा बहुत है, कर्म कम
ऊर्जा अहंकार बन जाएगी
ऊर्जा कम है, कर्म अधिक
ऊर्जा तनाव बन जाएगी
ऊर्जा अति है कर्म भी अति
ऊर्जा संतुष्टि बन जाएगी
ऊर्जा अनंत है कर्म अति या अल्प
ऊर्जा आनंद बन जाएगी
अधिक हो धन-दौलत तो
अभिमानी हो जाता है आदमी
कम हो धन तो तनाव से भर जाता है
संपन्नता भी हो और श्रम भी जीवन में
संतोष से भर जाता है
किंतु धन बेहिसाब हो फिर भी
सदा खुश नहीं रह पाता
इसलिए ऊर्जा क़ीमती है धन से
ऊर्जा अर्थात आत्मा
आत्मा अर्थात परमात्मा
परमात्मा अर्थात सत्य, प्रेम और शांति !
ऊर्जा का सही चेनल होना जरूरी है ... सही दिशा सही मार्ग पे ले जाती है ...
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने, स्वागत व आभार !
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंवाह्ह ऊर्जा को सकारात्मक सुंदर परिभाषित किया आपने... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर।
------
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० जून २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आपका प्रिय श्वेता जी !
हटाएं