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सोमवार, जुलाई 12

चंद ख़्याल


चंद ख़्याल 



पाया हुआ है सब जो खोजते हैं हम 
शब्दों में ज्ञान बसता दिल का था भरम 
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जाना हुआ सभी कहता है छोटा मन 
कोई कमी नहीं तो फिर क्यों करे जतन 
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छोड़ा यहाँ बाँधा वहाँ 
मुक्ति से डरता है जहां 
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मुश्किलों से डर जो ख़ुदा के द्वार आए 
पाए नहीं उसे बस पीड़ा को बढ़ाए 
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स्वप्नों में भयभीत हुआ मन 
सीमाओं में खुद को बाँधा 
  कहीं नहीं थी कोई सीमा
जब भी आँख खोल कर देखा