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शनिवार, नवंबर 1

ऋतू आयी मृदु भावों वाली


ऋतु आयी मृदु भावों वाली


धूप, हवा संग एक हो सकें
नदिया, पिकनिक, फूलों वाली
ऋतु आयी मृदु भावों वाली !

हल्की-हल्की ठंड रेशमी
नहीं ताप अब रवि बरसाता,
बादल लौट गये निज धाम
नीला चंदोवा हर्षाता !

धरा तृप्त है वारिद पीकर
कलियों, तितली, भंवरों वाली
ऋतु आयी मृदु भावों वाली !

 मदिर गंध ले बही समीरा
सुरभि बिखरने को है आतुर,
जीवन अपना राज खोलता
चले भूमि में सोने दादुर !

थिर गम्भीर हुई जलवायु
कण कण को हर्षाने वाली  
ऋतु आयी मृदु भावों वाली !