यह तू तो नहीं
कहीं कुछ ऐसा नहीं
जहाँ नज़र ठहर जाये
दिल के मोतियों को लुटाता चल
कि यह दामन भर जाये
हर सुकून भीतर ही मिला
जब भी मिला
बाहर फूलों के धोखे में
काँटों से पाँव छिलवाये
ख़ुद पे यक़ीन कर
ख़ुदा में छिपा है ख़ुद
वह यक़ीन ही छू सकता उसे
जर्रे-जर्रे में जो मुस्कुराए
तू खुश है ही बेवजह
जैसे दुनिया की वजह नहीं
तलाश ख़ुशियों की
बेमज़ा ज़िंदगी को बनाती जाये
तेरे दामन में हज़ार
ख्वाहिशें लिपटीं
उतार फेंक इसे क्योंकि
यह तू तो नहीं, बताती जाये !