नादिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नादिया लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, जनवरी 30

जल

जल 

हम छोटे-छोटे पोखर हैं 

धीरे-धीरे सूख जाएगा जल 

भयभीत हैं यह सोचकर 

सागर दूर है 

पर भूल जाते हैं 

सागर ही 

बादल बनकर बरसेगा 

भर जाएँगे पुन:

हम शीतल जल से

नदिया बन जल ही 

दौड़ता जाता है  

सागर की बाहों में चैन पाता है ! 


सोमवार, जून 19

चम्पा सा खिल जाने दो मन



चम्पा सा खिल जाने दो मन

उठो, उठो अब बहुत सो लिये
सुख स्वप्नों में बहुत खो लिये
दुःख दारुण पर अति रो लिये
वसन अश्रु से  बहुत धो लिये

उठो करवटें लेना छोड़ो
दोष भाग्य को देना छोड़ो
नाव किनारे खेना छोड़ो
दिवा स्वप्न को सेना छोड़ो

जागो दिन चढ़ने को आया
श्रम सूरज बढ़ने को आया
नई राह गढ़ने को आया
देव तुम्हें पढ़ने को आया

होने आये जो हो जाओ
अब न स्वयं  से नजर चुराओ
बल भीतर है बहुत जगाओ
झूठ-मूठ मत  देर लगाओ

नदिया सा बह जाने दो मन
हो वाष्पित उड़ जाने दो मन
चम्पा सा खिल जाने दो मन
लहर लहर लहराने दो मन