नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
जल
हम छोटे-छोटे पोखर हैं
धीरे-धीरे सूख जाएगा जल
भयभीत हैं यह सोचकर
सागर दूर है
पर भूल जाते हैं
सागर ही
बादल बनकर बरसेगा
भर जाएँगे पुन:
हम शीतल जल से
नदिया बन जल ही
दौड़ता जाता है
सागर की बाहों में चैन पाता है !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 31 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
बहुत बहुत आभार यशोदा जी !
आशायें बचे रहें |
स्वागत व आभार जोशी जी !
अनुपम सृजन
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 31 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
हटाएंआशायें बचे रहें |
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार जोशी जी !
हटाएंअनुपम सृजन
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