ऐसा तो नहीं है 
ऐसा तो नहीं है, 
कि भाव नहीं हैं 
या कि शब्द नहीं हैं 
बस कभी कभी वह लय की डोरी 
नहीं मिलती 
जिसमें पिरो डालें इन भावों और शब्दों को 
रच डालें नया गीत !
ऐसा तो नहीं है 
कि प्रेम नहीं है 
या कि अश्रु नहीं हैं 
बस कभी कभी वह अंतर की मूरत
खो जाती 
जिस पर उड़ेल दें इन प्रेम भरे अश्रुओं को 
मुक्त हो जाएँ देकर प्रीत !
ऐसा तो नहीं है 
कि लगन नहीं लगी है 
या कि विरह नहीं सताता 
बस कभी कभी भीतर की तपन 
शांत हो जाती 
जिससे पिघल कर बहता नहीं मन 
शुद्ध हो मनाएं जीत !
अनिता निहालानी 
२८ दिसंबर २०१० 
ऐसा तो नहीं है कि भाव नहीं हैं,भाव तो हैं पर सही शब्द नहीं मिलते तुम्हारे गीतों की प्रशंसा में लिखने के लिये. हमेशा की तरह बहुत सुंदर भावभरी कविता.
जवाब देंहटाएंऐसा तो नहीं है
जवाब देंहटाएंकि प्रेम नहीं है
या कि अश्रु नहीं हैं
बस कभी कभी वह अंतर की मूरत
खो जाती
जिस पर उड़ेल दें इन प्रेम भरे अश्रुओं को
मुक्त हो जाएँ देकर प्रीत
बहुत सुन्दर ....मन को छूती हुई चली गयीं यह पंक्तियाँ
अनीता जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार पोस्ट है......ऐसा तो नहीं है.... वाह.... बहुत सुन्दर ...........आपको और आपके परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें|
कभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग जज़्बात.....दिल से दिल तक पर भी आयिए|
bahut manmohak rachna .
जवाब देंहटाएंऐसा तो नहीं है
जवाब देंहटाएंकि प्रेम नहीं है
या कि अश्रु नहीं हैं
बस कभी कभी वह अंतर की मूरत
खो जाती
जिस पर उड़ेल दें इन प्रेम भरे अश्रुओं को
मुक्त हो जाएँ देकर प्रीत !
भावना प्रधान गीत.
भाषा सरल और सहज.
अभिव्यक्ति बेहतरीन .