बुधवार, दिसंबर 8

मृत्यु ! तुम्हारा स्वागत है

मृत्यु ! तुम्हारा स्वागत है

तुम्हीं सत्य हो इस जीवन का

मिलना तुमसे सबको होगा,

तुमसे ही जीवन, जीवन है

यह सच इक दिन जाहिर होगा !


लेकिन तब, जब श्वासें उखड़ीं

बोल अटक जायेंगे मुख के,

भाव सिमट के आँखों में भी

रह जायेंगे भीतर घुट के !


मृण्मय देह साथ छोड़ेगी

जिसका लिया सहारा  हमने,

चिन्मय भीतर छिपा रहेगा

जाना कभी न जिसको हमने !


मिट्टी-मिट्टी में मिल जाये

परिचय मृत्यु से क्यों न कर लें,

जीते जी उसको पहचानें

दिव्य ऊर्जा भीतर भर लें !


 चला गया जो पार मृत्यु के

जीवन महा मिलेगा उसको,

खुद मर के जो पुनः जन्मता

कब कोई मार सके उसको !



अनिता निहालानी
८ दिसम्बर २०१०

8 टिप्‍पणियां:

  1. अनीता जी,

    आप कहोगी मैं बार वही कहता हूँ और क्या करूँ शब्द कम पड़ जाते हैं कई बार.....मृत्यु के पार यही शाश्वत सत्य बचता है अन्यथा तो सभी को मिट ही जाना है .....

    अनित अजी मुझे लगा ...'मृत्यू' की जगह 'मृत्यु' होना चाहिए था|

    जवाब देंहटाएं
  2. इमरान जी,चेताने के लिये आभार, आप जैसे सजग पाठक हों तो कोई अशुद्धि रह ही नहीं सकती.

    जवाब देंहटाएं
  3. मिट्टी मिट्टी में मिल जाये
    परिचय मृत्यु से हम कर लें,
    जीते जी उसको पहचानें
    दिव्य ऊर्जा भीतर भर लें !


    सही जीवन दर्शन..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  4. मृत्यु क्या है?
    जन्म से मृत्यु तक का
    समय है - जीवन यात्रा.
    परन्तु मृत्यु तक सीमित
    नहीं है - यह जीवन.

    मृत्यु है जीवन का
    विश्राम स्थल; कुछ क्षण
    रुक कर, भूत को टटोलने;
    और भविष्यत् के गंतव्य को,
    शांति की आशा प्रत्याशा को,

    कृतकर्म के मंतव्य को,
    ध्यातव्य और प्राप्तव्य को;
    पुनर्जन्म के माध्यम से निर्दिष्ट ,
    लक्ष्य संधान का, पुनीत द्वार है यह.

    मृत्यु - विनाश नहीं, सृजन है,
    मृत्यु - अवकाश नहीं, दायित्व है.
    मृत्यु - नव जीवन का द्वार है,
    मृत्यु - अमरत्व का अवसर है.

    मृत्यु डरने की नहीं, चिन्तन की विन्दु है,
    मृत्यु विलाप की नहीं समीक्षा की वंदु है.
    जिसके आगे अमरत्व का लहराता सिन्धु है.
    लक्ष्य का स्वागत द्वार है यह, और
    पारलौकिक जीवन का प्रारंभ विन्दु है यह

    जवाब देंहटाएं
  5. मिट्टी मिट्टी में मिल जाये
    परिचय मृत्यु से हम कर लें,
    जीते जी उसको पहचानें
    दिव्य ऊर्जा भीतर भर लें !

    मृत्यु के जो पार हो गया
    जीवन महा मिलेगा उसको,
    खुद मर के जो पुनः जन्मता
    कोई मार सके ना उसको !
    Bejod katya, jitna chhota utna hi gahan aur goodh....manan karne yogy behtarin post

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय अनीता जी,
    नमस्कार !
    सही जीवन दर्शन..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    "माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  7. डॉक्टर तिवारी, प्रतीत होता है आपने मृत्यु पर गहरा चितन किया है, और कुछ आती सुंदर विचार यहाँ प्रस्तुत किये, आभार !

    जवाब देंहटाएं