क्या यही है जिंदगी
जिसको भी अपनाया हमने
वे साथी संग छोड़ चले हैं,
जिसको हमने अपना माना
वे ही नाता तोड़ चले हैं !
नन्हे खेल खिलौने छूटे
मित्र, दोस्त, सहेली छूटे,
यौवन की सुंदरता छूटी
बल शक्ति इन्द्रियों की छूटी !
कहाँ गया वह विद्यालय का
प्रांगण प्यारा जहां खेलते,
कहाँ गया कार्य स्थल वह
जहां प्रमुख बन रहे डोलते !
अब न कुछ भी शेष रहा है
जीवन का श्रम व्यर्थ सहा है,
किसे तक रहीं सूनी ऑंखें
किसके हित यह अश्रु बहा है !
जिनका स्मरण स्फूर्ति देता था
प्रियतम भी अब कहाँ खो गए,
साथ चले हैं अब तक जिनके
साथी गहरी नींद सो गए !
मैं न किसी का कोई न मेरा
भाव यह दृढ होता जाता है,
एक परम शक्ति का मैं हूँ
और न कुछ नजर आता है !
अनिता निहलानी
३ सितम्बर २०११
जिनका स्मरण स्फूर्ति देता था
जवाब देंहटाएंप्रियतम भी अब कहाँ खो गए,
साथ चले हैं अब तक जिनके
साथी गहरी नींद सो गए !
sundar abhivyakti badhai
साथ चले हैं अब तक जिनके
जवाब देंहटाएंसाथी गहरी नींद सो गए !
जीवन है तो ..
उथल-पुथल तो होगी ही ...
दिन है तो रात होगी ही ...
सुख है तो दुःख होगा ही ...
हर्ष है तो विषद होगा ही ...
प्रभु हैं तो सद्गति तो होगी ही ...
बहुत सुंदर रचना ...
मैं न किसी का कोई न मेरा
जवाब देंहटाएंभाव यह दृढ होता जाता है,
एक परम शक्ति का मैं हूँ
और न कुछ नजर आता है !
आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति से मैं निहाल हो गया हूँ,
अनीता निहलानीजी.
वैराग्य और भक्ति को प्रेरित सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए
बहुत बहुत आभार आपका.
पूरे जीवन का यतार्थ बताती ये कविता शानदार है...........बहुत पसंद आई|
जवाब देंहटाएंमिलने और बिछुड्ने का नाम ही जिंदगी है। हो सकता है जो आज हम से बिछड़ा हो वो कल किसी न किसी रूप मे हमारे करीब आ जाए। और यादों के रूप मे तो वो हमारे साथ होता ही है।
जवाब देंहटाएंसादर
aapki is kavita ne to dil ko choo liya.maarmik bhaav sunder shabd.bahut achchi prastuti.badhaai.
जवाब देंहटाएंवैराग्य भाव से भरी एक शानदार अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमैं न किसी का कोई न मेरा
जवाब देंहटाएंभाव यह दृढ होता जाता है,
एक परम शक्ति का मैं हूँ
और न कुछ नजर आता है !
सच है ज़िंदगी में कितना कुछ पीछे छूट जाता है ... यथार्थ को कहती अच्छी रचना
मैं न किसी का कोई न मेरा
जवाब देंहटाएंभाव यह दृढ होता जाता है,
एक परम शक्ति का मैं हूँ
और न कुछ नजर आता है ! सुन्दर भाव....
यही सच है...और इसी साथ के छूट जाने के सच से रूबरू कराती रचना
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