प्रिय ब्लॉगर साथियों
पिछले माह के अंतिम
सप्ताह में मुझे गोवा जाने का सुअवसर मिला, डायरी लिखने की आदत के चलते उस यात्रा
के अनुभव मैंने शब्दों और चित्रों में बटोर लिए, अब आपसे उन्हें साझा करने आयी
हूँ. आशा है आप भी इसे पढकर भारत के इस सुंदर प्रदेश के बारे में कुछ जानकारी
प्राप्त कर सकेंगे और हो सकता है यह विवरण आपकी अगली यात्रा के लिए प्रेरक भी
सिद्ध हो. तो प्रस्तुत है डायरी की पहली प्रविष्टि -
गोवा की यह हमारी दूसरी यात्रा है, ९९ दिसम्बर में हम तीन परिवार दक्षिण भारत की
यात्रा करके मुम्बई होते हुए गोवा पहुंचे थे. उस बार हम ओल्ड गोवा के सरकारी
पर्यटक भवन में ठहरे थे, कहीं भी जाना होता तो आधे घंटे की पणजी(गोवा की राजधानी) तक की यात्रा बस
से करनी पडती थी, अक्सर बस भरी हुई होती थी और मछली बेचने वाली महिलाएं अपनी खाली
या भरी टोकरी लेकर उसी बस में यात्रा करती मिलतीं थीं, आधा घंटा नाक बंद करके या
खिड़की से मुँह बाहर निकाल कर बैठना पड़ता था. अब यदि किसी का मछली से परिचय मात्र
एक्वेरियम के कांच के पीछे से ही हुआ हो, उससे इस गंध को सहने की उम्मीद करना
ज्यादती ही होती. दूसरी घटना थी ‘स्पाइस प्लान्टेशन’ की, (गोवा अपने मसालों के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है) जहां कन्डक्टेड टूर के
दौरान हमें ले जाया गया था, दोपहर का भोजन भी वहीं करना था, भोजन के समय हमारे
ग्रुप में से किसी ने कहा कि दाल में मछली की आँख जैसा कुछ है, मुझे जैसे उबकाई
आने लगी, किसी तरह सादे चावल खाकर निकल आई और मन ही मन संकल्प लिया कि अब कभी मैं गोवा
नहीं आऊँगी. लेकिन बारह वर्ष बाद हम पुनः गोवा जा रहे हैं. हवाई अड्डे पर पहुंचे
ही थे कि तेज वर्षा आरम्भ हो गयी. हवाई अड्डे के कर्मचारियों द्वारा दिए गए एक
जैसे रंगीन बड़े छातों को लेकर यात्री आने वाली उड़ान से आ रहे थे. बादलों के ऊपर जब
जहाज उड़ रहा था तो उनकी सुंदर आकृतियाँ मोह रही थीं. उतरे तो कोलकाता की चौड़ी
सडकें, फ्लाईओवर, ऊँची-ऊँची इमारतें और बड़े-बड़े होर्डिंग देखकर भारत के विकास की
एक तस्वीर दिखी.
कितना सन्नाटा है
यहाँ कोलकाता के इस शानदार होटल की आठवीं मंजिल के कमरे में, कितना सुकून भरा सन्नाटा..अपने
भीतर की सब आवाजें आ रही हैं. हमारी आवाज इस सन्नाटे में गूंज रही है. कल सुबह
हमें गोवा जाना है. अभी कुछ देर पूर्व हम भोजन करके आये. घर पर होते तो दाल, रोटी व
एक सब्जी खाते, यहाँ चार तरह की सब्जियाँ, सूप, सलाद, तंदूरी रोटी और तरह-तरह की स्वीट
डिशेज...तभी तो यात्रा का इतना आकर्षण है. सुबह पाँच बजे उठे, रात भर मिठाई बाँटने के
स्वप्न देखती रही.
बागा मेरिना होटल |
शाम को हम ‘बागा बीच’
यानि निकटतम समुद्र तट पर पहुंचे. जहाँ बहुत चहल-पहल थी. सागर की लहरें डूबते हुए सूर्य
की लालिमा में बहुत सुंदर लग रही थीं. पानी की लहरों में घुटनों तक पैर डाले हम
अँधेरा होने तक टहलते रहे फिर लौट आए. होटल के आस-पास का छोटा सा बाजार देखा,
यात्रा के दौरान काम आने वाली छोटी-मोटी वस्तुएं खरीदीं. रात्रि भोजन के बाद होटल
के लॉन में ही टहलते रहे. जहाँ सुंदर फूलों के वृक्ष, पौधे और तरण ताल है. सुबह
उठकर प्रातः भ्रमण के लिए पुनः समुद्र तट पर गए. रास्ते में जगह-जगह शराब की
दुकाने हैं, स्पा हैं, टैटू बनाने के केन्द्र हैं, पर्यटकों के लिए अतिथि घर हैं. गोवा में लगभग चालीस समुद्र
तट हैं, दुनिया के हर हिस्से से लोग यहाँ की सुंदरता से आकर्षित होकर आते हैं.
बागा बीच |
कोंकण क्षेत्र में
स्थित क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे
छोटा राज्य है गोवा. साढ़े चार सौ वर्षों तक यहाँ पुर्तगालियों का शासन रहा,
दिसम्बर १९६१ में ही यह भारत का अंग बना. महाभारत कल में यह गोपराष्ट्र के नाम से
जाना जाता था, संस्कृत में इसे गोप पुरी या गोपकपट्टन कहा जाता था. धर्म परिवर्तन
के अनेकानेक प्रयासों के बावजूद भी यहाँ की मूल संस्कृति का विनाश नहीं हुआ.
क्रमशः
खुबसूरत यात्रा..
जवाब देंहटाएंमाहेश्वरी जी, सही कहा है आपने यात्रा अपने आप में खूबसूरत होती है और फिर गोवा जैसे सुंदर प्रदेश की यात्रा तो और भी...
हटाएंसुंदर प्रदेश के बारे में बड़ी सुन्दर जानकारी देने के साथ बढ़िया सैर भी कराया है आपने जो कि सुखद है.
जवाब देंहटाएंबड़ी सुन्दर जानकारी देने के साथ बढ़िया सैर भी कराया है आपने जो कि सुखद है.
जवाब देंहटाएंइसमें (आलेख में) कहीं कोलकाता दिखा ... अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंगोवा की यात्रा (विवरण) तो अभी शुरू ही हुई है। पूरा पढ़ते हैं, ... फिर
बहुत सुन्दर जगह है गोवा.....
जवाब देंहटाएंवहाँ की फिजाओं में बेफ़िक्री सी महसूस होती है...
सादर
अनु
अनु जी, लगता है आप भी गोवा की यात्रा कर प्रसन्न हो चुकी हैं...सचमुच वहाँ की हवाओं में एक नृत्य है..
हटाएंगोवा गई नहीं हूँ .... सुना है बहुत,अब आपकी यात्रा ..... अति रोचक
जवाब देंहटाएंयह इत्तेफाक़ ही है की हम भी वाघा बीच के महिंद्रा रिसोर्ट में रुके थे ....बहुत खुबसूरत बीच है ..एकदम साफ़ सुथरा.......
जवाब देंहटाएंगोवा की सुन्दरता के बारे में सुना है...
जवाब देंहटाएंचित्र और वर्णन दोनों मनभावन|
बहुत बढ़िया यात्रा वृत्तांत है अनीता जी ! मेरी अपनी ट्रिप की यादें भी ताज़ा हो आईं ! गोवा बहुत ही खूबसूरत स्थान है और वहाँ के लोग भी बहुत जिंदादिल हैं जो हर हाल में खुश रहना जानते हैं और अपने अतिथियों का भी दिल खोल कर मनोरंजन करते हैं ! आपकी अगली कड़ी को पढ़ने की उत्सुकता रहेगी !
जवाब देंहटाएंगोवा की याद आ गयी ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
मुझे दो बार ,गोआ जाने का मौका मिला है ....
जवाब देंहटाएंफिर से यादें ताजा करने का मौका मिल रहा है ....
आभार और शुभकामनायें !!
गोवा की बात ही और है ...
जवाब देंहटाएंयाद आ गयी हमें भी !
रोचक विवरण
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर यात्रा वृतांत बमय तस्वीर ।
जवाब देंहटाएं