जहाँ नारी का होता
है अपमान
जैसे क्रूस पर चढ़ा हो कोई मसीहा
औरों के लिए..
माथे पर काँटों का मुकुट धारे
जिससे टपकती हो रक्त की धारा
हाथों-पैरों में चुभोये गए नश्तर...
व्यर्थ नहीं जायेगा उसका बलिदान भी
जूझ रही जो अस्पताल के कमरे में
बचायेगी हजारों मासूमों को
उसकी
यह पीड़ा
बहरों के कानों के लिए बनी बम
सोते हुओं को जगाने के लिए
काली की चीत्कार...
मांगती है इंसाफ
उसके लहू की हर बूंद
न सिर्फ खुद पर हुए जो अनाचार
वरन हर वह पुकार
जो घुट कर रह गयी होगी
दरिंदों के सामने..
बस अब और नहीं..
वह बनी है मिसाल
सहकर जख्म जिस्मोरूह पर..
चढ़ी है सूली पर
ताकि
चैन से जी सकें
भारत की नारियां...
वरना कहता ही रहेगा
हर नारी का आत्म सम्मान
नहीं आना उस देश में
जहाँ नारी का होता है अपमान...
यह भारत देश है मेरा जहाँ नारी पर सारे जुल्म ढ़ाये जा रहे है।
जवाब देंहटाएंसच है ... उसकी कुर्बानी से जनचेतना तो आई ...
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, आपने सही कहा है, देश के हर छोटे-बड़े शहर में हो रहे विरोध प्रदर्शन इसके गवाह हैं..
हटाएंबहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति फाँसी : पूर्ण समाधान नहीं
जवाब देंहटाएंसार्थक.......बदलाव लाना ही होगा.......
जवाब देंहटाएंउसकी कुर्बानी के साथ इंतजार है, अपराधियों को मिलने वाली ऐसी सजा की जिससे ऐसे अपराध के बारे में सोचकर भी अपराधियों की रूह कांप उठे....
जवाब देंहटाएंसही है, जब तक अपराध करने के बाद अपराधी खुले घूमते रहेंगे तब तक ऐसे अपराध कम नहीं होंगे..
हटाएंजन चेतना जागृत करती सार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंखुद में ही दर्द सहेजे हुआ
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapne uska balidan vyarth nahi jaayega
जवाब देंहटाएंअनिता जी ,कोई ऐसा युग बताइये जब पुरुष के संरक्षण में नारी अपमानित न हुई हो ,उस पर संदेह न किया गया हो .
जवाब देंहटाएंपरम समर्थ भवानी ही सबके सम्मान की अधिकारिणी होती है!
प्रतिभा जी, नारी का अपमान क्या माँ भवानी का अपमान नहीं ? भवानी शक्तिस्वरूपा है जो हर नारी की आत्मा में समोई है, हमें अपने भीतर की उस शक्ति को जगाना होगा..नारी का अपमान मानवता का अपमान भी है, क्योंकि वह जननी है.
हटाएंवन्दना जी, बहुत-बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंनारी हरेक पुरुषों द्वारा प्रताड़ित होती है। हमें सोचना है कि आखिर इस समस्या का स्थाई समाधान क्या है?
जवाब देंहटाएंमहिलाओं को चुपचाप सबकुछ सहते रहना प्रताड़ना को बढावा देना है
जागो बहना जागो
इस उत्पीडन के खिलाफ आवाज़ उठानी जरूरी है.
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ... चेतना आनी होगी जन जन में ... ऐसे कृत्य रोकने होंगे ... नारी चंडिका बने ...
जवाब देंहटाएंदिगम्बर जी, अपने सही कहा है, अब वक्त आ गया है नारी को अपनी रक्षा स्वयं करनी सीखनी होगी
हटाएंनारी का अपमान ..बस अब और नहीं..
जवाब देंहटाएंअमृता जी, यही उचित है अब और नहीं...
हटाएंसही बात कही है आपने बदलाव लाना ही होगा....!
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