सोमवार, फ़रवरी 18

विदाई समारोह


यह कविता मैंने इवा जी के लिए लिखी है, जिनका विदाई समारोह इसी हफ्ते हमारे क्लब में होने जा रहा है, वह एक शिक्षिका हैं और मेरा पुत्र  भी उन्हीं के स्कूल से नर्सरी में पढ़ा था. इस कविता के माध्यम से मैं उन सभी शिक्षिकाओं का भी आभार व्यक्त करती हूँ जो अपने स्नेह और श्रम से नन्हें-मुन्नों के जीवन में आगे बढने की प्रेरणा बनती हैं.


आदरणीय व प्रिय श्रीमती इवा हजारिका के लिए शुभकामनाओं सहित


लघु केश, गर्वीला मुखड़ा, जोश हृदय में, रंग गेहुआँ
बच्चों की दुलारी टीचर, बायदो मिलें सदा मुस्काकर

जोरहाट में बीता बचपन, दो भाई व एक बहन थे
अर्थशास्त्र में ली थी डिग्री, किया काम आर.आर.एल में

सन बयासी में बनीं वह दुल्हन, दुलियाजान आयीं संग दादा
अगले बरस ही पांखी आयी, पाही का अभी दूर था आना

गयी स्कूल जिस वर्ष रितिषा, पीछे-पीछे माँ भी आयी
तब से ले आज तक दिल से, वर्ष सत्ताईस ड्यूटी निभाई

जोश भरा त्वरित कदमों में, खिला-खिला सा अंतर उनका
पहली प्राथमिकता स्कूल थी, जैसे दूजा घर था उनका

असम साहित्य सभा दुलियाजान ने, हाल ही में किया सम्मानित
स्वर्ण जयंती समारोह में, बच्चों को किया सम्बोधित

अभिनय का है शौक बहुत, पहले ट्रूप संग थीं जाती  
कलाकार का दिल पाया है, लघु कहानी भी लिखतीं

अश्रु झलक आते पलकों में, बात बिछड़ने की जब आए
लगभग तीन दशक का साथ, कैसे लेडीज क्लब भुलाए

मन में यादों का हुजूम ले, तीन वर्ष दिल्ली में रहेंगी
टाईनी टॉट्स की प्रिंसिपल बायदो, गौहाटी में फिर बसेंगी

बिटिया बड़ी यूएस में रहती, गुजराती दामाद है सुंदर
मास्टर्स की डिग्री ली हैं, पेशे से दोनों इंजीनियर

पाही नोएडा में पढ़ती है, कानून की करे पढ़ाई
उसकी रूचि अदालत में है, सिम्बियोसिस में सीट है पाई

 सदा रहें स्वस्थ व हर्षित, यही दुआ दिल से देते
हो जीवन सुखद, मुदित सबका, यही कामना हम करते



9 टिप्‍पणियां:

  1. इतनी सुन्दर विदाई भी हो सकती है .. यकीन नहीं होता है .

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  2. विदाई का रंज भी न रहेगा इस सुन्दर तोहफे के साथ ।

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  3. क्या बात है अनिता जी.... काव्यात्मक रेखाचित्र ...अति सुन्दर!

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