नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
bilkul sahi bhav .............
यही आना और जाना जीवन है … गहन अभिव्यक्ति
ekdam sahi kaha hai anita ji .
मन तो सुकून अपने आँगन में ही पाता है ...सुन्दर पंक्तियाँ
घर का अपना ही सुकून होता है..सुन्दर पंक्तियाँ
पर चलते हुए ये समझ कहाँ समझ पाता है ? अति सुन्दर ..
यही जीवन का क्रम है !
sachmuchdooriyan aur nazdeekiyan to aabhaasi hain....tripti bhi to pyas ki hi pyasi hai...
mujhe lagta hai yeh doosri tippani hai jo phir aapki swikriti ke katghare mein khadi hai...agr tippniyan nirdosh sabit hon to mukt ki soochna avasya dein---
संध्या जी, संध्या शर्मा जी, रामकुमार जी, अमृता जी, प्रतिभा जी, ओंकार जी, मोनिका जी, माहेश्वरी जी, शालिनी जी आप सभी का स्वागत व आभार !
bilkul sahi bhav .............
जवाब देंहटाएंयही आना और जाना जीवन है … गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंekdam sahi kaha hai anita ji .
जवाब देंहटाएंमन तो सुकून अपने आँगन में ही पाता है ...सुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंघर का अपना ही सुकून होता है..सुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंपर चलते हुए ये समझ कहाँ समझ पाता है ? अति सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंयही जीवन का क्रम है !
जवाब देंहटाएंsachmuch
जवाब देंहटाएंdooriyan aur nazdeekiyan to aabhaasi hain....
tripti bhi to pyas ki hi pyasi hai...
mujhe lagta hai yeh doosri tippani hai jo phir aapki swikriti ke katghare mein khadi hai...
जवाब देंहटाएंagr tippniyan nirdosh sabit hon to mukt ki soochna avasya dein---
संध्या जी, संध्या शर्मा जी, रामकुमार जी, अमृता जी, प्रतिभा जी, ओंकार जी, मोनिका जी, माहेश्वरी जी, शालिनी जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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