पिछले वर्ष के
अंतिम सप्ताह में मैं दिल्ली में भाई के घर में थी, उसी कड़ाके की सर्दी में यह यथार्थ
कागज पर उतारा था.
वह
बाहर है कोहरे की घनी चादर
ठंड के कारण शायद न आये वह
आज इतवार भी तो है !
भर जाती है भाभी के मन में आशंका
और जब नहीं आती वह दस बजे तक
मोबाइल फिर उठाया जाता है
नहीं मिलता संतोषजनक कोई जवाब
जब-जब बजती है घंटी दरवाजे की
लगता है आ गयी है वही
पर पहले था सोसाइटी का चौकीदार
दूसरी बार निकला जमादार
तीसरी बार दूधवाला और
उम्मीदों पर पानी फेर देता है धोबी चौथी बार..
फिर आधा घंटा किया बेसब्री से इंतजार
कुछ कहा-सुना फिर फोन पर
आयी है ‘वह’ तब जाकर
भाभी ने राहत की साँस ली है
‘उसने’ हाथ में जब झाड़ू थाम ली है...
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट : संस्कृत बनाम जर्मन और विलायती पारखी
शहरी जीवन के यथार्थ को उतारा है आपने. ग्रामीण जीवन में उस 'वह' पर ऐसी निर्भरता नहीं देखने को मिलती है. हालाँकि उसका एक अच्छा पक्ष है कि जो घरों में काम करने जाती हैं उन्हें कुछ पैसे कमाने को मिल जाते हैं. लेकिन नकारत्मक पहलू यह है कि कई घरों में उनका खूब शोषण किया जाता है. उनकी आर्थिक कमजोरी को देखते हुए मानों उन्हें गुलामों की तरह सलूक किया जाता. मैंने ऐसा दिल्ली के एक-दो घरों में देखा. पश्चिमी जीवन का एक बहुत ही अच्छा पक्ष ये है कि लोग सारे काम खुद से करते हैं. मशीनों की मदद जरूर मिल जाती है. यहाँ के नीति निर्धारकों ने सबके लिए न्यूनतम मजदूरी तय करके लोगों के श्रम का शोषण होना मुश्किल कर दिया है. आपने राजनयिक देब्यानी खोबरागड़े का मामला जाना ही होगा.
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने, काम करवाने के उचित पैसे दिए जाएँ तो रोजगार मुहैया करने का पुण्य भी मिलेगा और कम भी हो जायेगा, शोषण तो हर हाल में खत्म होना चाहिए
हटाएंकामकरनेवालियों की आर्थिक कमजोरी का अक्सर कई शहरों में उनका खूब शोषण होता है
जवाब देंहटाएंअनीता जी
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
-- संजय भास्कर
आपको नव वर्ष 2015 सपरिवार शुभ एवं मंगलमय हो।
जवाब देंहटाएंकल 04/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
बहुत बहुत आभार..
हटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही चित्रांकन किया है -यही होता है !
जवाब देंहटाएंसटीक मर्मस्पर्शी चित्राकंन ...
जवाब देंहटाएंओंकार जी, प्रतिभा जी, कविता जी व राजीव जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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