सरस्वती पूजा
गा रही है वाक् देवी
गूँजती सी हर दिशा है,
शांत स्वर लहरी उतरती
शुभ उषा पावन निशा है !
श्वेत दल है कमल कोमल
श्वेत वसना वीणापाणि,
राग वासन्ती सुनाये
वरद् हस्ता महादानी !
ज्ञान की गंगा बहाती
शांति की संवाहिका वह,
नयन से करुणा लुटाये
कला की सम्पोषिका वह !
भा रही है वाग् देवी
सुन्दरी अनुपम सलोनी,
भावना हो शुद्ध सबकी
प्रीत डोरी में पिरोनी !
जग उठे मेधा जो सोयी
अर्चना तब पूर्ण होगी,
ताल-लय जीवन में प्रकटे
साधना उस क्षण फलेगी !
जवाब देंहटाएंजग उठे मेधा जो सोयी
अर्चना तब पूर्ण होगी,
ताल-लय जीवन में प्रकटे
साधना उस क्षण फलेगी !
- उसी क्षण की सतत प्रतीक्षा ,और जीवन का उद्देश्य भी यही !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
जवाब देंहटाएंमाँ सरस्वती की कृपा आप पर सदैव रहे !
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...!!
बहुत सुन्दर . वसंत पंचमी की शुभकामनाएं !
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