मजदूर दिवस
घर के बाहर माली दिखा
बगीचे की घास संवारता सुबह-सवेरे ही
याद आया आज मजदूर दिवस है और इसे पता तक नहीं..
कुछ ही देर में आयी कामवाली बाई
पहला सवाल था आज छुट्टी है किस बात की
समझाया उसे आज है मजदूर दिवस
पर उसे तो काम करना था रोज की तरह
कामगार ससुर अस्पताल में भर्ती है
उसे जाने की जल्दी है
दूध वाला आया
और फिर धोबी घर-घर घूमते
भीगे पसीने से, साइकिल चलाते
उन्हें भी कहाँ ख्याल होगा आज कौन सा दिन है
सोचा.. क्यों न खुद ही कुछ ऐसा करें
आज कुछ खास है उन्हें लगे
माली के लिए मसाला चाय बनाई
बाई के लिए परांठे भी
दूध वाले को बिन मांगे बख्शीश दी
और धोबी से कुछ देर गपशप की
अस्पताल जाकर रोगी को देखा
और.. इस तरह मजदूर दिवस मना !
शायद इसी आत्मीयता की आवश्यकता है. सुंदर भाव सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंइतनी आत्मीयता से जो किया वह भी कम नहीं है !
जवाब देंहटाएंरचना जी, ओंकार जी व प्रतिभा जी, स्वागत व आभार !
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