शनिवार, सितंबर 27

भरोसा

भरोसा 


कहीं विश्वास की कमी 

कहीं अंधविश्वास 

दोनों ही मंज़िल तक पहुँचने नहीं देते !


जिस पर विश्वास नहीं किया 

वह पीछे छूट जाता है

किया जिस पर अंधविश्वास 

वह काम नहीं आता है !


व्यक्ति खड़ा रह जाता है 

मँझदार में 

अब प्रतीक्षा के सिवा 

कोई उपाय नहीं !


यदि भरोसा पक्का होता 

तो वही बचा ले जा सकता था 

फिर अंधविश्वास की

 ज़रूरत ही नहीं पड़ती !


स्वयं के पुरुषार्थ पर अविश्वास 

और भाग्य पर अंधविश्वास 

यही तो लोग करते हैं ! 



10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 28 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी है....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. गांठ बांध ली बात । भरोसे की सौगात।

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    1. वाह! कितनी काव्यात्मक टिपण्णी! स्वागत व आभार!

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