भरोसा
कहीं विश्वास की कमी
कहीं अंधविश्वास
दोनों ही मंज़िल तक पहुँचने नहीं देते !
जिस पर विश्वास नहीं किया
वह पीछे छूट जाता है
किया जिस पर अंधविश्वास
वह काम नहीं आता है !
व्यक्ति खड़ा रह जाता है
मँझदार में
अब प्रतीक्षा के सिवा
कोई उपाय नहीं !
यदि भरोसा पक्का होता
तो वही बचा ले जा सकता था
फिर अंधविश्वास की
ज़रूरत ही नहीं पड़ती !
स्वयं के पुरुषार्थ पर अविश्वास
और भाग्य पर अंधविश्वास
यही तो लोग करते हैं !
बहुत सुंदर मार्गदर्शन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार प्रियंका जी!
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 28 सितंबर 2025 को लिंक की जाएगी है....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत बहुत आभार रवींद्र जी!
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंगांठ बांध ली बात । भरोसे की सौगात।
जवाब देंहटाएंवाह! कितनी काव्यात्मक टिपण्णी! स्वागत व आभार!
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