तू महासूर्य मैं एक किरण
तू महासूर्य मैं
एक किरण
तू सिंधु अतल हूँ
लहर एक,
मैं भ्रमर बना
डोला करता
शुभ खिला हुआ तू
कमल एक !
मैं श्वेत श्याम
घन अम्बर का
तू विस्तारित नील
आकाश,
मैं गगन तारिका
जुगनू सम
तू ज्योतिर्मया
महा प्रकाश !
तू महा आरण्य
चन्दनवट
मैं कोमल डाली इक
वट की,
तू ज्वाला का इक
महाकुंड
मैं लघु काया इक
चिंगारी !
तू अन्तरिक्ष है
अंतहीन
छोटा सा ग्रह मैं
घूम रहा,
तू महाप्रलय सा
दीर्घ पवन
मैं मंद समीरण बन
बहता !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें