वह अनंत पथ खुद से जाता
उस अनन्त पथ के हो राही
बाधाओं से क्या घबराना,
जन्मों की जो चाह रही है
उसे थाम कर बढ़ते जाना !
गह्वर भी हैं सँकरे रस्ते
भय के बादल घोर अँधेरे,
कर्मों की जंजीर पड़ी है
अपना ही मन देगा धोखे !
किन्तु नहीं पल भर को इनकी
व्यर्थ व्यथा में जकड़ो खुद को,
एक उसी की लगन लगी हो
बल देंगी राहें कदमों को !
प्रतिपल नीलगगन से आतीं
लहरें सिंचित करतीं मन को,
नीचे धरती माँ सी थामे
दृष्टि टिकी हो मात्र लक्ष्य पर !
भाव जगें पल-पल शुभता के
उनकी आभा में लिपटा तन,
वह अनंत पथ खुद से जाता
क्यों संशय में सिमटा है मन !
बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंउस अनन्त पथ के हो राही
जवाब देंहटाएंबाधाओं से क्या घबराना,
जन्मों की जो चाह रही है
उसे थाम कर बढ़ते जाना !
वाह दीदी... बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायी रचना
स्वागत है सुधा जी !
हटाएंबहुत सुन्दर और प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंRead More About GPS Kya Hai और इसकी परिभाषा - What is GPS in Hindi
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आभार !
हटाएंबहुत बहुत आभार श्वेता जी !
जवाब देंहटाएंसारगर्भित रचना के लिए साधुवाद
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंप्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
स्वागत व आभार !
हटाएंप्रतिपल नीलगगन से आतीं
जवाब देंहटाएंलहरें सिंचित करतीं मन को,
नीचे धरती माँ सी थामे
दृष्टि टिकी हो मात्र लक्ष्य पर ! ... अनीता जी, आप सभी भावों को कितनी आसानी से मन के गहरे से निकालती लाती हैं वा...ह
प्ररेणादायक
जवाब देंहटाएंसकारात्मकता से ओतप्रोत करने वाली
शानदार पोस्ट 👍👌💐
बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी.
जवाब देंहटाएंसादर