रविवार, अगस्त 1

टूटी अंतर की हर कारा

टूटी अंतर की हर कारा 

जिस क्षण तजा प्रमाद मनस ने 
एक उमंग सहज भर जाती, 
कुछ पाने की मिटी चाह जब 
हर दुविधा भी संग मर जाती !

लोभ-लाभ की भाषा भूली 
प्रतिद्वंद, स्पर्धा भी छूटे, 
चित्त उदार बनेगा, उस क्षण 
आनंद घट हृदय में फूटे !

कंपित था भयभीत हुआ मन 
खो जाए ना प्रेम किसी क्षण, 
अभय मिला बाँटा भी सबको 
शुभ  का निर्झर फूटा उर में !

भय की इक चट्टान पड़ी थी 
रोक रही थी प्रेमिल धारा, 
 राह उसी की चला दो कदम 
टूटी अंतर की हर कारा !

दुःख के बादल सदा घिरे थे 
सुख का सूरज कब दिखता था, 
जब से झुका हृदय चरणों पर 
मिटा विषाद अमोद बहा था !


13 टिप्‍पणियां:


  1. दुःख के बादल सदा घिरे थे
    सुख का सूरज कब दिखता था,
    जब से झुका हृदय चरणों पर
    मिटा विषाद अमोद बहा था !
    ..अंतर्मन में झांकती और चितन मनन को प्रेरित करती सुंदर रचना।

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (02-08-2021 ) को भारत की बेटी पी.वी.सिंधु ने बैडमिंटन (महिला वर्ग ) में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। (चर्चा अंक 4144) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  3. हृदय बस झुक रहा है और नीरवता पसरी जा रही है .... अति सुन्दर भाव ।

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  4. बहुत सटीक और सही कहा आपने।
    जिस क्षण तजा प्रमाद मनस ने
    एक उमंग सहज भर जाती,
    कुछ पाने की मिटी चाह जब
    हर दुविधा भी संग मर जाती !
    सार्थक संदेश देती अभिनव रचना।

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  5. भय की इक चट्टान पड़ी थी
    रोक रही थी प्रेमिल धारा,
    राह उसी की चला दो कदम
    टूटी अंतर की हर कारा !

    अंतर्मन की जकड़न खत्म हो तो मन स्वच्छन्द हो जाय । बहुत खूबसूरत रचना

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  6. आप सभी सुधीजनों का स्वागत व आभार !

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