शनिवार, अगस्त 21

रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ



राखी के कोमल धागों में 


दीर्घ शृंखला में पर्वों की 

उत्सव एक अति है पावन, 

राखी कह कर कोई पुकारे 

कोई कहता रक्षा बंधन !


श्रावण की जब पड़ें फुहारें 

भीगा-भीगा सा हो कण-कण, 

कोमल भाव जगाता उत्सव 

याद दिलाता स्वर्णिम बचपन !


लघु कलाई में सजती थी 

रंग-बिरंगी राखी सुंदर,

बहनों का दिल खिल जाता था 

भाई को मिष्ठान खिलाकर !


एक मधुर प्रेम की धारा 

बहे निरंतर कभी न टूटे, 

रेशम के धागे हों कच्चे

किंतु अटल है प्रीत न छूटे !


कुशल कामना श्वास-श्वास में 

भाई के हित बहनें माँगे, 

रक्षा का जो वचन दिया है 

हर क़ीमत पर भाई निबाहें !


राखी के कोमल धागों में 

छिपी हुईं कितनी गाथाएँ, 

चिरकाल से पर्व अनूठा 

मानवता का पाठ पढ़ाए !







12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना । रक्षाबंधन की शुभकामनाएँ ।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-8-21) को "भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार"(चर्चा अंक- 4164) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। आप सभी को रक्षाबंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
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    कामिनी सिन्हा


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  3. एक मधुर प्रेम की धारा

    बहे निरंतर कभी न टूटे,

    रेशम के धागे हों कच्चे

    किंतु अटल है प्रीत न छूटे
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर लाजवाब।

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  4. यह मृदुल मधुर प्रीत ही तो शाश्वत है जो कभी न छूटता है और न ही टूटता है । स्वर्णिम स्मृतियां उभर आई । हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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    1. वाकई और उस शाश्वत को ही हृदय में धारण कर लेना है, स्वागत व आभार !

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  5. ये धागा नहीं ... जीवन का अटूट पक्ष है ... जो हर भाई और बहन को जोड़े रखता है चिरकाल तक ... निरंतर बिना स्वार्थ के ...

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    1. आप बिलकुल सही कह रहे हैं, स्वागत व आभार!

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