काली माँ, कपालिनी अम्बा
कल्याणी, निर्गुणा, भवानी
अखिल विश्व आश्रयीदात्री,
वसुंधरा, भूदेवी, जननी
धी, श्री, कांति, क्षमा, सुमात्री !
श्रद्धा, मेधा, धृति तुम माता
अम्बा गौरी, दुःख निवारिणी
जया, विजया, धात्री, लज्जा
कीर्ति, स्पृहा, हो दया कारिणी !
चिन्मयी दिव्य पराम्बा तुम
उमा, पार्वती, सती, भवानी,
ब्रह्मचारिणी, ब्रह्मस्वरूप
सावित्री, शाकम्बर देवी !
काली माँ, कपालिनी अम्बा
स्वाहा तुम्हीं स्वधा कहलाती,
विश्वेश्वर, आनन्ददायिनी
क्षेमंकरी, पर्वत वासिनी I
त्रिगुणमयी, करुणामय, कमला
चण्डी, शाम्भवी, हो सुभद्रा,
हे भुवनेश्वरी, मात गिरिजा
मंगल दायी, हे जगदम्बा !
सिंह वाहिनी, कात्यायनी
चंद्रघंटा, कुष्मांडा भी,
अष्टभुजा, स्वर्णमयी माता
त्रिनेत्री तुम सिद्धि दात्री I
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०९-१०-२०२१) को
'अविरल अनुराग'(चर्चा अंक-४२१२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
उत्कृष्ट स्तुति
जवाब देंहटाएंमाँ की
जय दुर्गा
स्वागत व आभार !
हटाएंबहुत सुंदर अत्यंत पवित्र भावपूर्ण शब्दों से सजी सुंदर प्रार्थना।🙏
जवाब देंहटाएंसादर।