वासन्ती हवा
धूप ने पिया जब फूलों का अर्क
भर गयी ऊर्जा उसके तन-बदन में....
कल तक नजर आती थी जो कृश और कुम्हलाई
आज कैसी खिल गयी है...
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
वसुधा ने भी ली है अंगड़ाई
भर दिया सहज वनस्पतियों में यौवन
सिकुड़ी, सूखी सी दिखती थीं जो डालें कल तक
पल्लवों से मिल गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
पाले में ढके, कोहरे में खेत
झूमते पा परस वासन्ती हवा का
चुप सी खड़ी थी जो सरसों की हर वह कली कल
फूल बन घर से गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
उर में हुलस उठी बाल-युवा सभी
शीत से बेहाल घरों में क़ैदी थे ,
हुल्लड मचाने टोली उनकी मिलजुल कर आज
दोस्तों के घर गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (07-02-2022 ) को 'मेरी आवाज़ ही पहचान है गर याद रहे' (चर्चा अंक 4334) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार मनोज जी!
हटाएंअति सराहनीय।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर रचना एक एक शब्द बहुत ही खूबसूरती से पिरोये गाएं हैं!
जवाब देंहटाएंagainindian.blogspot.com
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजीवन में हर्ष उल्लास का रंग भरती सुंदर रचना । बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीय दीदी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी!
जवाब देंहटाएंआलोक जी, मनीषा जी, जिज्ञासा जी व इंडियन जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंमन को मुदित करता सरस बसंत गीत।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
वाह ..... बसंत की सुंदर छटा बिखेरती रचना ।
जवाब देंहटाएंकुसुम जी व संगीता जी, स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अनुराधा जी!
हटाएंशब्दों का बसंत मानों दृष्टि में जीवंत हो नज़र आ गया। हार्दिक शुभकामनाएं अनीता जी 🙏💐💐🌷🌷
जवाब देंहटाएंवाह ! कितनी सुंदर प्रतिक्रिया, आपको भी वासंती उत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएँ रेणु जी!
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हटाएं🙏🙏🙂
उर में हुलस उठी बाल-युवा सभी
शीत से बेहाल घरों में क़ैदी थे ,
हुल्लड मचाने टोली उनकी मिलजुल कर आज
दोस्तों के घर गयी है
वसंत के आने की खबर उसको भी मिल गयी है !/////👌👌👌🙏
बसंत सी मनमोहक लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बसंत का आना उलास का छा जाना ... यही तो होता है उत्सव में बदल जाना ..
जवाब देंहटाएंआशा का सन्देश लिए सुन्दर काव्य ...
अहा!
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