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शनिवार, फ़रवरी 8

बहने दो

बहने दो


बहने दो पावन रसधार, मत रोको !
झरने दो सजल अश्रुधार, मत टोको

माना मन परिचित है बंधन से
डरता है अनहद की गुंजन से

खिलने दो अन्तस् की डार, मत रोको !
भरने दो फागुनी बयार, मत टोको !

माना मन स्वप्नों में खोया है
अनजाने रस्तों पर रोया है

छाने दो सहज प्यार, मत रोको !
खुलने दो मनस द्वार, मत टोको !

सुनने दो कर्णों को प्रकृति की भाषा
गिर जाय जन्मों से बाँध रही आशा

कुछ न शेष रहने दो, मत रोको !
जीवन को कहने दो, मत टोको !




बुधवार, मई 23

भाभियाँ


भाभियाँ

माँ की तरह इसरार करके
तवे से उतारे
ताजे फुलके खिलातीं
और सफर हेतु
टिफिन पैक कर
छोटी सी डिबिया में
आम के अचार की
दो फांकें रखना
नहीं भूलतीं

शांत स्निग्ध मुस्कान देकर
स्वागत व विदा करतीं
मेहमानों से परिचय करातीं

प्रातः भ्रमण को जातीं  
भाई के सँग
मनपसंद धारावाहिक देखतीं
बिटिया को रस पगे
शब्दों से मनातीं
भजन व पूजा में मग्न
भाव पूर्ण नजर आतीं बड़ी भाभी !

सुबह सवेरे गर्मागर्म नाश्ता
फलों की प्लेट
और सजा हुआ घर...
दीवारों पर कलात्मक छाप छोड़तीं
और मधुर शब्दों से
प्रेम का इजहार करतीं
मनुहार भरे शब्दों से
जगातीं बिटिया को  
भाई के दिल की धड़कन है
मझली भाभी !

गोल, गंदुमी चेहरे पर
चमकती, बड़ी सी लाल बिंदी
और प्यारी सी मुस्कान उन्हें  
विशिष्ट बनाती है....

जोश भरे युवा बेटियों का सा
ओशो की सूक्तियां
जो यदा-कदा दोहराती हैं
प्रेमिल व्यवहार से
सबका मन मोहती

मेहमानों का स्वागत करती
सजग सदा स्वास्थ्य के प्रति
भाई का मन बिना कहे
समझ जाती हैं
छोटी भाभी !