गणेश चतुर्थी
नन्हा गणेशा याद आ रहा
मन ही मन, मन मुस्करा रहा !
नाम अनेकों कृत्य अनगिनत
गणपति के आयाम अनगिनत !
सुख-दुख में सब उसे पुकारें
प्रथम वन्दन नाम उच्चारें !
चिठ्ठी हो या पोथी पत्रा
लिखते सभी श्री गणेशाया !
रिद्धि सिद्धि के हैं वरदाता
विद्या दायक बुद्धि प्रदाता !
मूलाधार के देव गणपति
महेश्वरी नंदन गणाधिपति !
लम्बोदर हेरम्ब विनायक
विघ्नहर्ता सुखद फलदायक !
आओ मिलकर उसे रिझाएँ
भीतर निज तुष्टि-पुष्टि पाएँ !
अनिता निहालानी
१० सितम्बर २०१०
bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएंॐ श्री गणेशाय नमः
जवाब देंहटाएंआदरणीया अनिता निहालानी जी
नमस्कार !
बहुत अच्छी काव्य रचना द्वारा गणेश जी को रिझाया है आपने ! आभार और बधाई !
मैं भी आपके साथ मिल कर गा रहा हूं …
आओ मिलकर उसे रिझाएँ
भीतर तुष्टि-पुष्टि पाएँ !
सादर …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
मृदुलाजी व राजेन्द्र जी , आभार, अन्य कवितायें भी पढ़ें.
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