मन दीवाना
कोई नजर नहीं आता जब
जाने किससे बतियाता है,
मन को दीवाना कहने का
पूरा-पूरा हक है हमको !
कोई दुःख देने वाला जब
दूर-दूर तक नजर न आये,
केले के पत्ते सा कांपे
जाने क्या खलिश है इसको !
दुनिया अपनी राह चल रही
रोती हो या हंसती खुद पर,
मन जाने किस भोले पन में
जाने इसका कारण खुद को !
वार्तालाप चला करता है
निशदिन जाने किसके साथ,
भूत, भविष्य माया दोनों
दे डाला है खुद को किसको !
मन तो ऐसा ही है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
वार्तालाप चला करता है
जवाब देंहटाएंनिशदिन जाने किसके साथ,
भूत, भविष्य माया दोनों
दे डाला है खुद को किसको !
बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ हैं।
सादर
कोई दुःख देने वाला जब
जवाब देंहटाएंदूर-दूर तक नजर न आये,
केले के पत्ते सा कांपे
जाने क्या खलिश है इसको !
सुन्दर बिम्ब प्रयोग!
सुभानाल्लाह.........बहुत ही बेहतरीन |
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