बरसों पूर्व कॉलेज के कॉमन रूम में अगले पीरियड की प्रतीक्षा में चंद पंक्तियाँ कॉपी के पिछले पन्ने पर लिखीं थीं आज वह मिल गयीं तो उन्हें यहाँ उतार दिया शायद आपको भी अपने कॉलेज के दिन याद आ जाएँ...
बातें इधर-उधर की
कालेज में लडकियाँ और लड़कियों की बातें
होठों से झरती हुईं, घर की, पड़ोस की
सहेली की शादी की, टूट गयी मंगनी की
‘उसके’ माँ बाप की, भाभी की भैया की
सरसर निकलती हुईं रेशम की तार सी...
भैया से उसको पिटवाने की बातें
उससे धमकी खाने की बातें
धूप की प्रतीक्षा में सिकुड़ती बातें
आँखों ही आँखों में फिसलती बातें..
धड़कते अधर, जुबान अकुलाती
हीरो का नया इश्क रस ले बताये
टीवी पर देखे योगासन की बातें
नोट्स भूल आने पर निकली वह ‘हाय..’
कॉमन रूम छोड़ कर भागतीं बातें
मोहल्ले में देखे विवाह की कहानी
छुट्टियों में पहाड़ी प्रवास की बातें
कॉलेज में लडकियाँ और लड़कियों की जुबानी...
वाह!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता है :)
सादर
सब तरफ बाते ही बाते....सुन्दर बाते.
जवाब देंहटाएंवाह! लाज़वाब बातें....आज कुछ नयी बातें पढकर बहुत अच्छा लगा...आभार
जवाब देंहटाएंकालेज में लडकियाँ और लड़कियों की बातें.
जवाब देंहटाएंये विषय तो अच्छा लिया. कालेज की गपशप और बेबात की बात बढ़िया कविता में.
बधाई सुंदर प्रस्तुति के लिये.
कुछ अलग-सा, किन्तु रोचक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सारी बातें :):)
जवाब देंहटाएंकुछ अलग सी पोस्ट :-)
जवाब देंहटाएंक्या बात है, अनीता जी आज तो नये रंग में :):)
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी यह कविता . आभार .
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