दो दिनों के लिये हम दिल्ली में थे, कैंटोनमेंट एरिया में आर्मी कैंटीन के पास स्थित मेरे भाई के सरकारी आवास में ठहरे थे. सुबह बालकनी में बैठकर मैं प्राणायाम कर रही थी आँख खोली तो सामने वाले घर की छत पर पानी की टंकी से पानी पीता हुआ एक मोर दिखा, थोड़ी देर में नीचे से मोरनी की आवाजें भी सुनाई दी, वह मोर नीचे उतर कर मस्त चाल में चलता हुआ पंखों को फैलाकर नृत्य करने लगा, ऐसे लग रहा था मनो कोई स्टेज शो चल रहा हो, हमने वीडियो बनाया, उसने इत्मीनान से पंख समेटे, विस्मय और खुशी से हमारे मन मयूर भी नाच उठे, अगले दिन हम जल्दी उठकर मोर लीला देखने के लिये तैयार हुए, फिर वह पानी पीने आया, आज उसका साथी भी था, नीचे बगीचे में जाकर कई मोर-मोरनियाँ दिखे, उन्हें कोई भय नहीं था, लोग आसपास थे पर वे संशकित नहीं थे. एक तो कार के बोनट पर चढ़ गया, और भीतर झाँकने लगा. हमने कई चित्र लिये एक यहाँ प्रस्तुत है. यह कविता उसी दिन सहज ही लिखी गयी.
दिल्ली की एक सुबह
चिरपिर चिड़ियों की मधुरिम सुन
गुटरम्–पुटरम् कबूतरों की,
केंया मोर-मोरनी छेड़ें
सुबह सुहानी है दिल्ली की !
वृक्षों के झुरमुट घर मोहक
फुदक गिलहरी मौज मनाये,
सुरभि अनोखी छन पत्तों से
फूलों की खबर दे जाये !
बालकनी में गृह तिनकों का
श्वेत लघु दो अंड हैं जिसमें,
झांक-झांक कर उड़ जाते हैं
सुंदर दो कबूतर पल में !
ग्रीवा हरि गुलाबी जिनकी
जरा न डरते, निकट आ बैठे,
ओम ओम की धुन वे छेड़ें
गर्दन फूला फूला कर ऐंठे !
पानी की टंकी पर देखा
मोर सजीला चोंच डुबोए,
तृषा बुझी जब तृप्त हुआ वह
मग्न हुआ सा नृत्य दिखाए !
संगी सब दाना चुगते थे
उसने खोले पर चमकीले,
गोल-गोल चक्कर वह काटे
अद्भुत थे वे रंग रंगीले !
मोर मुकुट से शोभित होता
कान्हा की स्मृति छा गयी,
महादेवी के मोर मोरनी
राष्ट्रीयता भी याद आ गयी !
सुंदर ...बहुत सुंदर रहना ....
जवाब देंहटाएंजैसे आँखों के सामने मोर नाच रहा हो ....!!
शुभकामनायें ...अनीता जी ...
वैशाखी की शुभकामनायें |
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति |
सुंदर!
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar kavita hai aur mor ki khubsurti ke kya kahne.
जवाब देंहटाएंबढ़िया शब्द चित्रण है.... !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको ...
वाह....
जवाब देंहटाएंसुंदर सुंदर अति सुंदर......
सादर.
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंbahut sundar v pyari post .aabhar anita ji .
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