पता है
पता है
हमारे, तुम्हारे, सबके शरीरों द्वारा
वही धड़क रहा है...
अस्तित्त्व भर लेता है खुद को
जब हम छोड़ते हैं श्वास
और रिक्त होता है हमारे भरने पर...
पता है ?
यह सारा ब्रह्मांड उसकी देह है
वह जीवित है अनंत प्राणियों की देहों से
वही झांकता है कण-कण से
वही जो रेश-रेशे में भीगा है जीवन रस से !
हर कोशिका परमात्मा रूपी स्वर्ण पर जड़ा हीरा है
जिस पर वक्त की परतें जम गयी हैं
वह हरेक को देता है अवसर
जब वह हमारे द्वारा श्वास लेता है !
अस्तित्त्व भर लेता है खुद को
जवाब देंहटाएंजब हम छोड़ते हैं श्वास
और रिक्त होता है हमारे भरने पर...
bahut hi sundar
वह तो सर्व-व्यापी है!
जवाब देंहटाएंसर्वोच्च सत्ता को पल-पल प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंवह सर्वव्यापी है अनादी है अनंत है ... सुन्दर भावपूर्ण रचना ...आभार आपका....
जवाब देंहटाएंहाँ वो तुझमे है...मुझमें है...उसमें है..........
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जीवन दर्शन अनीता जी.
सादर.
बहुत सुन्दर और सटीक भाव
जवाब देंहटाएंsundar prastuti.aabhar कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध उचित कार्यवाही sath hi avlokan karenनारियां भी कम भ्रष्ट नहीं.
जवाब देंहटाएंविश्वरूप है वही तो १
जवाब देंहटाएंअहसाह होना ही बड़ी बात है
जवाब देंहटाएंआप सभी का आभार व स्वागत !
जवाब देंहटाएंसुंदर जीवन दर्शन अनादी सर्व-व्यापी को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएं