हम पहले ही मारे जा चुके हैं....
सारा कच्चा माल पड़ा है वहाँ
अस्तित्त्व के गर्भ में....
जो जैसा चाहे निर्माण करे निज जीवन का !
महाभारत का युद्ध पहले ही लड़ा जा चुका है
अब हमारी बारी है...
वहाँ सब कुछ है !
थमा दिये जाते हैं जैसे खिलाडियों को
उपकरण खेल से पूर्व
अब अच्छा या बुरा खेलना निर्भर है उन पर !
वहाँ शब्द हैं अनंत
जिनसे रची जा सकती हैं कवितायें
या लड़े जा सकते हैं युद्ध,
वहाँ बीज हैं
रुप ले सकते हैं जो मोहक फूलों का
बदल सकते हैं मीठे फलों में
परिणित किया जा सकता है जिन्हें उपवन में
या यूँ ही छोड़ दिया जा सकता है
सड़ने को !
उस महासागर में मोती पड़े हैं
जिन्हें पिरोया जा सकता है
मुक्त माल में
अनजाने में की गयी हमारी कामनाओं की
पूर्ति भी होती है वहाँ से
हम ही चुन लेते हैं कंटक....
जानता ही नहीं जो, उसे जाना कहाँ है
अस्तित्त्व कैसे ले जायेगा उसे और कहाँ ?
जो जानता ही नहीं खेल के नियम
वह खेल में शामिल नहीं हो पायेगा
लीला चल रही है दिन-रात
उसके और उसके अपनों के मध्य
हम पहले ही मारे जा चुके हैं....
दर्शन रूप विराट के, मिली दिव्यतम दृष्ट ।
जवाब देंहटाएंमरे हुए हम भी दिखे, सृजित करें नव सृष्ट ।।
dineshkidillagi.blogspot.in
बहुत बढिया रचना है बधाई।।
जवाब देंहटाएंसारा कच्चा माल पड़ा है वहाँ
जवाब देंहटाएंअस्तित्त्व के गर्भ में....
जो जैसा चाहे निर्माण करे निज जीवन का !
बाँध दिया आपने कर्म से मन को ...
दिव्य रचना ...अनीता जी ....अथाह सुकून देती हुई ...
आभार ...!!
सच है, सम्भावनायें अनंत हैं!
जवाब देंहटाएंलीला उसकी अद्भुत...
जवाब देंहटाएंआपकी दृष्टि भी अद्भुत!
सुन्दर रचना!
वाह!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबुद्धि छोटी पड़ गयी, आपकी रचना में निहित भावों को वास्तविक रूप से समझने के लिए......
सादर नमन आपको एवं आपकी लेखनी को.
vaah bahut sundar bhagvaan ne sab kuch diya hai nirbhar karta hai ki insaan uska saduoyog karta hai ya durupyog.umda bhaabhivyakti.
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन को कहती सुंदर रचना .... सब कुछ है बस हमें अपने कर्म से साधना है सब
जवाब देंहटाएंये आदि है या अंत ... जीवित है या मृत्यु ... पहले जीवन है या मृत्यु ... गीता के कुछ रहस्य रहस्य ही हैं ... कृष्ण की माया ...
जवाब देंहटाएंवाह....वाह .......बहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंजानता ही नहीं जो, उसे जाना कहाँ है
जवाब देंहटाएंअस्तित्त्व कैसे ले जायेगा उसे और कहाँ ?
....गहन जीवन दर्शन को दर्शाती बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
जवाब देंहटाएं....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें....!!!
jeevan ki schaai....sunder rachna
जवाब देंहटाएंगहन दर्शन को दर्शाती बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंजो जानता ही नहीं खेल के नियम
जवाब देंहटाएंवह खेल में शामिल नहीं हो पायेगा
लीला चल रही है दिन-रात
उसके और उसके अपनों के मध्य
हम पहले ही मारे जा चुके हैं....
गहन जीवन दर्शन. यात्रोपरांत ब्लॉग पर स्वागत. इन सत्रह दिनों की अनुपस्थिति की पूर्ति शीघ्र कीजिये.
बहुत सुन्दर ..गहन जीवन दर्शन को दर्शाती हुई सार्थक प्रस्तुति..आभार...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट कृति |
जवाब देंहटाएंबुधवारीय चर्चा-
मस्त प्रस्तुति ||
charchamanch.blogspot.com
सच है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
आप सभी सुधी पाठकों का बहुत बहुत आभार !
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