पुनः नमस्कार ! आज ही मैं यात्रा से लौटी हूँ पूरे सत्रह दिन बाद घर आकर व आप सभी से मुखातिब होकर अच्छा लग रहा है. यात्रा में ही लिखी कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं, धीरे-धीरे और भी बहुत कुछ जो कहने से रह गया है व डायरी के पन्नों में भरता गया है, लिखा जायेगा व आपकी पोस्ट भी एक-एक कर पढ़ने का अवसर मिलेगा.
यात्रा
हर यात्रा कड़ी होती है किसी पिछली यात्रा की
और जोड़ती है किसी नई यात्रा से....
हर यात्रा मन को कुछ नया सम्बल दे जाती है
कुछ नए तार जुड़ जाते हैं भीतर
नए हो जाते हैं रिश्ते
समय की गर्त जम गयी थी जिन पर , वे भाव
मिलन का जल पाकर खिल जाते हैं
हर यात्रा हमें आगे ले जाती है
उस महायात्रा पर जाने में बनती है सहायक...
चलिए--
जवाब देंहटाएंस्वागत है |
फिर से रम जाइए
अपनी सुन्दर पोस्टों पर ||
चल चला चल..................
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना..
आपका स्वागत है......इन्तेज़ार रहेगा तरोताज़ा रचनाओं का...
सादर
अनु
बहुत सही लिखा आपने....सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंहर यात्रा हमें आगे ले जाती है
उस महायात्रा पर जाने में बनती है सहायक...
हर यात्रा हमें आगे ले जाती है
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने..
नीरज
swagat aapka ....
जवाब देंहटाएंsunder srijan chalne dijiye punah ....
हर यात्रा हमें आगे ले जाती है
जवाब देंहटाएंउस महायात्रा पर जाने में बनती है सहायक...
....बहुत सुन्दर और सटीक ...स्वागत है आपका ...आभार
http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
bahut bahut swagat aur aapki yatra aage badhti rahe
जवाब देंहटाएंयात्रा से यात्रा की जो कड़ियां मिलाई हैं और उस महा यात्रा तक की राह दिखाई हैं, वह वाकेई काबिले तारीफ़ है।
जवाब देंहटाएंस्वागतम...
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका .......बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।
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