आसमां की मौन चादर
श्वेत कंचन खिलखिला कर
तितलियाँ कुछ मुस्कुरा कर
श्याम भंवरे गुनगुना कर
क्या सुनाते हैं ? सुनें हम !
पंछियों की चहचहाहट
पत्तियों की सरसराहट
पवन की सरगोशियाँ ये
क्या बताती हैं ? गुनें हम !
आसमां की मौन चादर
ध्या रही किसको निरंतर
नीलिमा की रश्मियाँ ये
क्यों सजाती है ? कहें हम !
दूब कोमल सिर उठाती
दबी फिर भी महमहाती
राह को सुंदर बनाती
क्यों सुहाती है ? जगें हम !
रंग सूरज ने उकेरे
गंध धरती की बिखेरें,
कुसुम अनगिन रूप वाले
खबर किसकी दें, भजें हम !
एक सुर गूंजे फिजां में
एक गुंजन कहकशां में,
एक मस्ती सी समां में
क्या लुटाती है, भरें हम !
सुन्दर रंग से सुरुचिपूर्ण सजी धरा ....
जवाब देंहटाएंऔर उतनी ही खूबसूरत आपकी अभिव्यक्ति ....
मन का भंवर करे पुकार ....
बहुत सुन्दर रचना ...अनीता जी .....!!
प्रकृति की सुन्दर छटा बिखेर दी है .अनीता जी.. बहुत सुन्दर रचना .. ..
जवाब देंहटाएंश्वेत कंचन खिलखिला कर
जवाब देंहटाएंतितलियाँ कुछ मुस्कुरा कर
श्याम भंवरे गुनगुना कर
क्या सुनाते हैं ? सुनें हम !
पूरी रचना में रूपवाद (फॉर्म )छाया हुआ है बहुत गेय और सुर ताल लिए है रचना .
शुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंरंग सूरज ने उकेरे
जवाब देंहटाएंगंध धरती की बिखेरें,
कुसुम अनगिन रूप वाले
खबर किसकी दें, भजें हम ! prakriti varnan ki uttam rachna
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अद्भुत....
जवाब देंहटाएंएक जीवन आ रहा है...
एक जीवन जा रहा है...
समय ये क्या गा रहा है...
मन लगा कर ये सुने हम....!!
मस्ती सी समां में कितना भी समेटो तो भी कम ही लगता है .
जवाब देंहटाएंप्रकृति का कण-कण एक सुन्दर इशारा करता है ......बहुत बहुत सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत कविता ....
जवाब देंहटाएंateev praffullit krti huyee rchna!
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी, माहेश्वरी जी, वीरू भाई, अमृता जी, इमरान, रजनीश जी, पूनम जी, कालीपद जी, व रविकर जी अप्प सभी का स्वागत व् आभार!
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