बदल रहा है देश
लोग निकल रहे हैं घरों से
छोटे-बड़े सब समान होकर खड़े हैं लम्बी-लम्बी कतारों में
जिन्हें एक नहीं कर पाये सद उपदेश और भगवान
उन्हें एक ही कतार में ले आया है इस देश का संविधान
आखिर प्रधानमन्त्री को चुना है जनता ने
उसका संवैधानिक हक है
जनता को जागरूक बनाना
देश से भ्रष्टाचार मिटाना
अब किसी को हिम्मत नहीं होगी
नोटों से भरे तिजोरी
या फिर बेहिसाब कमाई में से करे कर चोरी
अब इस देश का कोई माईबाप है
जिसको देना हर किसी को जवाब है
देश बदल रहा है
हमको भी बदलना है
न कि ‘सब चलता है’ का मन्त्र जपना है
अब यहाँ बेईमानी नहीं चलेगी
अभी तो गंदगी फ़ैलाने वालों की नकेल भी कसेगी
स्वच्छ भारत का सपना अब हकीकत बन रहा है
वाकई देश बदल रहा है !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.11.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2529 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
bahut badhiya
जवाब देंहटाएंसामयिक रचना
जवाब देंहटाएंदेश तो सच में बदल रहा है मोदी जी के साथ ... जो साथ नहीं चल रहे वो पीछे रह जाने वाले हैं ....
जवाब देंहटाएंयही है संधि-बेला !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सामयिक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंमाहेश्वरीजी, कैलाश जी, प्रतिभाजी व दिगम्बर जी and onkar ji आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएं