खोया नहीं है जो
खोया नहीं है जो
खोया हुआ सा लगता है
जैसे शशि झील में
सोया हुआ सा लगता है
न ही दूर गया उससे
न जा सकता है बाहर
कोई बीज धरा की गहराई में जैसे
बोया हुआ सा लगता है
प्रीत का जल, ऊष्मा उर की
जब जब बहती है
उस पल कोई मीत
आया हुआ सा लगता है
जो श्वासों में है
बसता दिल की धड़कन में भी
कैसे भला नज़र हटे
जिसके बिना नहीं अंतर
धोया हुआ सा लगता है !
सुन्दर भावों से सजी बेहतरीन रचना .
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार. 3 जनवरी 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-01-2022 ) को 'नेह-नीर से सिंचित कर लो,आयेगी बहार गुलशन में' (चर्चा अंक 4298) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत आभार!
हटाएंकोई दृष्य मन में जब एक वास्तविक से मेल खाता नया-सा बिंब जगा जाए, तब ऐसा ही कुछ लगता होगा.कवि ने जो कहा उसे आत्मसात् करने का सबका अपना-अपना ढंग!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार!
हटाएंअत्यंत कोमल भाव लिए बेहद सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर।
हमेशा की तरह मन में उतरती सुंदर रचना । नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आदरणीय दीदी 💐🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द विन्यास और गहन विचार को उद्घाटित करती रचना। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं अनिता जी ने 🙏🙏💐💐🌷🌷
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
श्वेता जी, जिज्ञासा जी, रेणु जी व सुधा जी आप सभी का स्वागत व आभार!
जवाब देंहटाएं