तुम्हें याद करता है भारत
‘जयहिंद’ का नारा गूंजा
जाग उठे थे भारतवासी
नहीं सहेंगे पराधीनता
लगने दो चाहे फांसी !
तुम भारत के पुत्र अनोखे
फौलादी दिल को था ढाला
खून के बदले ही आजादी
मिल सकती यही कह डाला !
बापू के थे निकट खड़े तुम
फिर भी उनके साथ थे लड़े
दिल झुकता था उन कदमों पर
कर्तव्य बुलाते कहीं बड़े !
कैसे अद्भुत सेनानी थे
साम्राज्य से भिड़ने निकले
‘दिल्ली चलो’ का नारा दे
संग सेना ले लड़ने निकले !
भारत गौरवान्वित तुमसे
‘आजाद हिंद फ़ौज’ निर्माता
कभी-कभी ही किसी हृदय में
इतना बल साहस भर पाता !
तुम्हें याद करता है भारत
अचरज से भरी निगाहों से
जिस माटी में तुम खेले थे
ध्वनि आती है उन राहों से !
‘जय हिंद’ की एक पुकार पर
हर भारतवासी डोल उठे
देशभक्ति जो सोयी भीतर
ले अंगड़ाई किलोल उठे !
वर्षों इस गौरव को साधारण जन के सामने आने और जानने नहीं दिया गया !
जवाब देंहटाएंशत शत प्रणाम !
स्वागत व आभार!
हटाएंजय हिंद’ की एक पुकार पर
जवाब देंहटाएंहर भारतवासी डोल उठे
देशभक्ति जो सोयी भीतर
ले अंगड़ाई किलोल उठे !
सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर ओजपूर्ण भावों से सुसज्जित अत्यंत सुन्दर रचना । जयहिंद ! जय भारत !
हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएं