एक चेतना की डोरी से
विजयगान गूँजे दुनिया में
जय हिंद ! जय भारत न्यारा !
दिप-दिप दमक रहा गौरव से
महिमा मंडित भाल तुम्हारा !
युग-युग से करते आये हो
संगम चिन्मय आदर्शों का,
बहती आयी गंगा में नित
ज्ञान, भक्ति व कर्म की धारा !
सदा सत्य के रहे पुजारी
उपनिषदों का शुभ ज्ञान दिया,
कोटि-कोटि जनों ने मिलकर
सदा दिया उत्कर्ष का नारा !
एक चेतना की डोरी से
बँधा हुआ हर भारत वासी,
भिन्न बोलियाँ, भिन्न प्रांत हैं
जुड़ा हुआ है भाग्य हमारा !
भारत माता की संतानें
उसके हित कर्त्तव्य निभातीं,
दुश्मन आँख उठा भर देखे
वीर सैनिकों ने ललकारा !
एक चेतना की डोरी से
जवाब देंहटाएंबँधा हुआ हर भारत वासी,
भिन्न बोलियाँ, भिन्न प्रांत हैं
जुड़ा हुआ है भाग्य हमारा !
सुंदर भाव भरी कृति ।आदरणीय दीदी आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 👏🌹👏
जय हिन्द।
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम का भाव लिय उत्कृष्ट रचना ...
जवाब देंहटाएंजय भारती जय भारती ... स्वर्ग ने भी जिस तपोवन की उतारी आरती ...
स्वागत व आभार !!
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