यहाँ हवाएं भी गाती है
सुनना है सुख, पुण्य प्रदायक
सुनने की महिमा है अनुपम,
करे श्रवण जो बनता साधक
मिल जाता इक दिन वह प्रियतम !
निज भाषा में सुनने का फल
सहज ही हों सभी कर्म कुशल,
अध्ययन वृत्ति, श्रवण है भक्ति
मन की धारा बनती निर्मल !
राग सुनो, आलाप सुनो तुम
मधुरिम तान सुनो कोकिल की,
यहाँ हवाएं भी गाती है
सरिता बहती सुर सरगम की!
कल-कल नदिया की भी सुनना
बादल का तुम सुनना गर्जन,
गुनना पंछी की बोली को ,
सागर की लहरों का तर्जन !
पिउ पपीहा, केकी मोर की
सुनना भी है एक विज्ञान,
गूँज मौन की सुन ले कोई
हृदय गुह में जगता प्रज्ञान !
सुनने की भी महिमा है । यदि सुनने वाला न हो तो कहने वाला किससे कहेगा ।
जवाब देंहटाएंसही कहा है आपने, स्वागत व आभार!
हटाएंपिउ पपीहा, केकी मोर की
जवाब देंहटाएंसुनना भी है एक विज्ञान,
गूँज मौन की सुन ले कोई
हृदय गुह में जगता प्रज्ञान
..... बहुत सुंदर!!!
स्वागत व आभार!
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-1-22) को "पथ के अनुगामी"(चर्चा अंक 4319)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
सुनना है सुख, पुण्य प्रदायक
जवाब देंहटाएंसुनने की महिमा है अनुपम,
करे श्रवण जो बनता साधक
मिल जाता इक दिन वह प्रियतम !
..वाकई अगर धैर्यपूर्वक सुना जाय तो हमारी सृष्टि ही संपूर्ण है, हमें जीवन संगीत सुना जीना सिखा देती है..
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
वाह ! कितने सुंदर शब्दों में आपने कविता के मर्म को प्रस्तुत कर दिया है, आभार!
हटाएंबहुत सुंदर गहन भाव! ब्रह्मांड के हर नाद को एकचित्त हो सुनने का सामर्थ्य हो अगर तो स्वयं को भी सुनने का अवसर मिलता है।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव।
जी हाँ कुसुम जी, और स्वयं को सुने बिना स्वयं को जान भी कैसे सकते हैं
हटाएंबड़ा ही उम्दा सृजन
जवाब देंहटाएंआदरणीया अनिता जी, नमस्ते👏! आपने प्रकृति में परिव्याप्त जिस संगीत को शब्द दिया है, वह स्वर्ग के संगीत से भी उत्तम है। बस सुनने की वर्त्तियों को जगाना होगा। सुंदर भाव!
जवाब देंहटाएंराग सुनो, आलाप सुनो तुम
मधुरिम तान सुनो कोकिल की,
यहाँ हवाएं भी गाती है
सरिता बहती सुर सरगम की!
कल-कल नदिया की भी सुनना
बादल का तुम सुनना गर्जन,
गुनना पंछी की बोली को ,
सागर की लहरों का तर्जन !
साधुवाद! --ब्रजेंद्रनाथ
कविता आपको अच्छी लगी, जानकर ख़ुशी हुई, स्वागत व आभार!
हटाएंकल-कल नदिया की भी सुनना
जवाब देंहटाएंबादल का तुम सुनना गर्जन,
गुनना पंछी की बोली को ,
सागर की लहरों का तर्जन !
अद्भुत!
स्वागत है मनीषा जी!
हटाएंराग सुनो, आलाप सुनो तुम
जवाब देंहटाएंमधुरिम तान सुनो कोकिल की,
यहाँ हवाएं भी गाती है
सरिता बहती सुर सरगम की!... बहुत ही सुंदर मन शीतल हो गया।
सादर
स्वागत व आभार अनीता जी!
हटाएंप्रकृति को मौन भाषा हर कोई नहीं सुन पाता ...
जवाब देंहटाएंपर जो सुन लेता है उसे कुछ और नहीं भाता ...