गाँधी जी के सपनों का भारत
जहाँ हर नागरिक को समानता का अधिकार मिलेगा
मिट जायेगा अस्पृश्यता का नामोनिशान
शिक्षा के वरदान से हर बच्चे का सामर्थ्य खिलेगा
दिया जायेगा सत्य और अहिंसा के मूल्यों को पूरा सम्मान
सम्प्रदाय या जाति से नहीं
भारतीय होने से होगी हरेक की पहचान
विकास का फल सुदूर स्थानों तक जायेगा
काश्मीर से कन्याकुमारी व उत्तरपूर्व से गुजरात तक
देश अनेक रास्तों से जुड़ जाएगा
निर्धनता और गुलामी से मिलेगी मुक्ति
खुशहाली और संपन्नता
हर क्षेत्र में नजर आयेगी
हर गाँव सशक्त - स्वालंबी बने
सही अर्थों में तब स्वराज आएगा
मिले सहकारिता को बढ़ावा
घर-घर में भरे हों अन्न भंडार
माँ और शिशु को समुचित पोषण
हर विद्यालय में विज्ञान का उजाला छाएगा
भोग भूमि नहीं भारत कर्मभूमि बने सही अर्थों में
जहाँ जीवन हो सादा, उच्चता विचारों में
जहाँ हिंसा नहीं प्रेम से सभी को अपना बनाया जाता हो
योग साधना से आत्मशक्ति को जगाया जाता हो !
सपने बस सपने ही रह गए । आज़ाद भारत की नींव जब बंटवारे पर रखी गयी तो , त्याग की भावना से ऊपर भोग की भावना ने सिर उठा लिया था ।
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अच्छा लिखा है । काश ये सपना सच के करीब हो पाता ।
स्वागत व आभार संगीता जी, यह सपना सच करने का दायित्व तो हर भारतीय का है
हटाएंगाँधी जी के विचारों को पोषित करती सुन्दर सकारात्मक रचना ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार मीना जी!
हटाएंपर्दे के पीछे है कहीं बना रहे आमीन।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंबहुत बहुत आभार संगीता जी!
जवाब देंहटाएंसपना सच हो यही कामना है। हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार अमृता जी !
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां सृजन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार भारती जी!
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