शुक्रवार, मई 19

मुक्ति

मुक्ति 


स्मृति पटल पर अंकित 

हैं कुछ पल 

 कर याद जिन्हें होता अंतर सजल 

चिकित्सक ने उतारा पुराना 

और सरका दिया नूतन मल्टी फ़ोकल लेंस 

आँख के भीतर 

जिनमें भरा था द्रव 

और ऊपर तेज रोशनी थी 

टीवी पर देख रहे थे प्रियजन 

आपरेशन की सारी गतिविधि 

चंद मिनटों में ही ओटी से बाहर ले आये वे 

तब घंटों, दिनों व हफ़्तों में बाँटकर 

हुए सिलसिले आरम्भ बूँदें डालने के 

चढ़ाया चार दिन काला चश्मा  

फिर पारदर्शी बिना नंबर का 

दाहिनी के बाद 

बायीं आँख की बारी आयी 

इस तरह  बरसों बाद 

चश्मे से मुक्ति पायी ! 


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