ऐसा एक मिलन था अद्भुत
प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
बरसों पहले घर में परिवार के सभी लोग इक्कट्ठे हुए, जब एक कुनबा एक साथ होता है तो कई नई यादें मनों में घर कर लेती हैं भविष्य में आने वाली पीढ़ियों तक वह यादें किसी न किसी तरह पहुँच जाती हैं. कुछ यादें मैंने इस कविता में उतारी थीं, इसे पढ़कर शायद आपको भी अपने परिवार के मिलन की कोई स्मृति हो आये...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 23 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी!
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी!
हटाएंमधुर संस्मरण !
जवाब देंहटाएंआत्मीय-जन का ऐसा मेला तो अब शादी-ब्याह में भी नहीं हो पाता.
रिश्ते-नाते सब सिमट कर रह गए हैं.
स्वागत व आभार, आपने सही कहा है, शायद अब इतना समय नहीं है लोगों के पास
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार भारती जी!
हटाएंमिलन के प्रेम प्रसंग और यादों से बुनी सुन्दर रचना ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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जवाब देंहटाएंइसी तरह का प्यार सदा ही
सबके मन में बसा रहेगा
पापा-माँ की मिलें दुआएं
जीवन सुंदर सदा रहेगा !!
वोराम और स्नेह ही तो जीवन पूंजी है।
इकट्ठे भाव बना रहे शुभकामनाएँ दीदी।
स्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
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