शनिवार, जुलाई 22

ऐसा एक मिलन था अद्भुत


ऐसा एक मिलन था अद्भुत

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,

बरसों पहले घर में परिवार के सभी लोग इक्कट्ठे हुए, जब एक कुनबा एक साथ होता है तो कई नई यादें मनों में घर कर लेती हैं भविष्य में आने वाली पीढ़ियों तक वह यादें किसी न किसी तरह पहुँच जाती हैं. कुछ यादें मैंने इस कविता में उतारी थीं, इसे पढ़कर शायद आपको भी अपने परिवार के मिलन की कोई  स्मृति हो आये...

कई बरस के बाद मिले थे

ह्रदय सभी के बहुत खिले थे,

इक छत के नीचे वे चौदह

चले बातों के सिलसिले थे !


दिवस सुहाने, माह नवम्बर

न ही गर्मी न सर्दी का डर,

कारण पापा की बीमारी

लेकिन खुश वे, उन्हें देखकर !


वाराणसी से डिब्रूगढ़ का

राजधानी में सफर चला,

मुम्बई से उड़े विमान में

फिर असम भूमि का दर्श मिला !


सँग लाए वे भेटें अनुपम

मिठाई का पूरा भंडार,

दीवाली के बाद मिले थे

मीठा मीठा करें व्यवहार !


मलाई गिलौरी, गोंद-पाक 

बूंदी चूर, बरफ़ी अनगिन

मेवों, सेव से बने व्यंजन

खाए मिलजुल सबने हरदिन !


वजन बढ़ा या घटा औंस भर

नापा करते बारी बारी,

अभी नाश्ता समाप्त हुआ न

दोपहरी की हो तैयारी !


फिर बारी भ्रमण  की आती

दो वाहनों  में सभी समाते,

रोज नापते असम की धरती

चाय बागानों में जाते !


नदी किनारे, पुल के ऊपर

पार्क के झूले मन मोहते

पंछी, धूप, हवा, पानी सँग

हरी घास पर सभी झूमते !


ओ सी एस में इक अजूबा

पानी में थी लपट अग्नि की,

देख सभी रह गए अचम्भित

साँसें  सबकी रह गयी रुकीं !


बच्चों ने भी लीं तस्वीरें

मन में यादें भरीं सुनहरी,

दो सौ तेरह में सोये सब

दो सौ सात में की दुपहरी !


मिलकर उनो व कैरम खेला

झूले में भी पींग बढाई,

पौधों को नहलाया जल से

ग्रुप में फोटो खूब खिचाई !


मोनोपली का खेला खेल  

 सभी थे हाज़िर फेसबुक पर  ,

एक जगत जो यह दिखता है 

​​दूसरा आभासी  स्क्रीन  पर  I


मेलजोल से हर दिन बीता

खुशियाँ जैसे झलक रहीं थीं,

योग, प्राणायाम के बल पे

सेहत सबकी ठीक रही थी !


ऐसा एक मिलन था अद्भुत

कविता में जो व्यक्त हुआ है ,

सभी दिलों में जो अंकित है

बड़े प्रेम से खुदा हुआ है !


इसी तरह का प्यार सदा ही

सबके मन में बसा रहेगा 

पापा-माँ की मिलें दुआएं

जीवन सुंदर सदा रहेगा  !!





12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 23 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. मधुर संस्मरण !
    आत्मीय-जन का ऐसा मेला तो अब शादी-ब्याह में भी नहीं हो पाता.
    रिश्ते-नाते सब सिमट कर रह गए हैं.

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    1. स्वागत व आभार, आपने सही कहा है, शायद अब इतना समय नहीं है लोगों के पास

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  3. मिलन के प्रेम प्रसंग और यादों से बुनी सुन्दर रचना ... लाजवाब ...

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  4. इसी तरह का प्यार सदा ही
    सबके मन में बसा रहेगा
    पापा-माँ की मिलें दुआएं
    जीवन सुंदर सदा रहेगा !!
    वोराम और स्नेह ही तो जीवन पूंजी है।
    इकट्ठे भाव बना रहे शुभकामनाएँ दीदी।

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