सोमवार, जुलाई 3

सत्यं, शिवं, सुन्दरं सदगुरु

सत्यं, शिवं, सुन्दरं सदगुरु


एक बूँद में सागर भर दे 

जो अनंत को हमें थमा दे,

नाम खुमारी में तर कर दे 

घूँट-घूँट में अमिय पिला दे !


जो बंदे को खुदा बनाता, 

उर में शीतल स्थान दिला दे, 

द्वैत भावना मिटा हृदय से  

पल में अपना आप मिला दे !


आनन से प्रकाश बिखेरता 

अनुकम्पा बरबस  छलकाए, 

पल में राज खोल दे सारे

जीवन में जागरण जगाये !


जाने कौन देश का वासी, 

कहता दुनिया बदली जाए, 

सूक्ष्म लहर ज्यों भरी प्रेम से, 

रह-रह अपने निकट बुलाए !


सत्यं, शिवं, सुन्दरं सदगुरु, 

या फिर लीला उस ईश्वर की, 

आँखों ही आँखों में बोले, 

लगन लगा दे परमेश्वर की !


स्वयं जागा जगाने आता 

धर्म सहजता का बतलाये, 

पावनी दृष्टि एक डालकर, 

सेवा भाव परम भर जाये  !


गुरु पूर्णिमा पर्व अलबेला 

मिलना सूक्ष्म अदृश्य भाव का,

ख़ुद  से भी जो निकट बसा है , 

पा जाना उस निज स्वभाव का !


8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 04 जूलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा  धन्यवाद!   

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  2. नमन है जीवन में प्हरकाश लाने वाले हर गुरु को

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  3. वाह! अनीता जी ,सुंदर गुरु महिमा गान ।

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  4. स्वागत व आभार ओंकार जी !

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