सत्यं, शिवं, सुन्दरं सदगुरु
एक बूँद में सागर भर दे
जो अनंत को हमें थमा दे,
नाम खुमारी में तर कर दे
घूँट-घूँट में अमिय पिला दे !
जो बंदे को खुदा बनाता,
उर में शीतल स्थान दिला दे,
द्वैत भावना मिटा हृदय से
पल में अपना आप मिला दे !
आनन से प्रकाश बिखेरता
अनुकम्पा बरबस छलकाए,
पल में राज खोल दे सारे
जीवन में जागरण जगाये !
जाने कौन देश का वासी,
कहता दुनिया बदली जाए,
सूक्ष्म लहर ज्यों भरी प्रेम से,
रह-रह अपने निकट बुलाए !
सत्यं, शिवं, सुन्दरं सदगुरु,
या फिर लीला उस ईश्वर की,
आँखों ही आँखों में बोले,
लगन लगा दे परमेश्वर की !
स्वयं जागा जगाने आता
धर्म सहजता का बतलाये,
पावनी दृष्टि एक डालकर,
सेवा भाव परम भर जाये !
गुरु पूर्णिमा पर्व अलबेला
मिलना सूक्ष्म अदृश्य भाव का,
ख़ुद से भी जो निकट बसा है ,
पा जाना उस निज स्वभाव का !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 04 जूलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी!
हटाएंनमन है जीवन में प्हरकाश लाने वाले हर गुरु को
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंवाह! अनीता जी ,सुंदर गुरु महिमा गान ।
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार शुभा जी !
हटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार ओंकार जी !
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