नवरात्रि का करें स्वागत
बस दो दिनों की प्रतीक्षा
फिर देवी का आगमन होगा
गरबे की धूम मचेगी
घरों में कलश स्थापन होगा
मिलजुल कर उत्सव मनाना
भारत की संस्कृति है
इन दिनों पूरा वैभव लुटाती प्रकृति है
हरसिंगार के फूल भोर में झरते हैं
सारे आलम को दैवीय सुगंध से भरते हैं
संग मखाने की खीर, कोटू की रोटी
व साबूदाने की खिचड़ी की महक
सुबह शाम धूप, अगर बत्ती
मन्दिरों में अखंड दीपक !
व्रत, उपवास, जप, ध्यान
दुर्गा सप्तशती का पारायण भी
कुछ दिनों के लिए
सोशल मीडिया से पलायन भी !
माँ के आने से खिला-खिला है धरा का मन
राम लौटेंगे, मनेगा विजयादशमी का दिन !
है शरद का आकाश भी कितना निर्मल
फैलता हर तरफ़ श्रद्धा का भाव अमल
नृत्य, संगीत और कलाओं का सृजन करें
मिलकर भजन और एकांत में मनन करें
आत्मशक्ति को जगायें हम, माँ बताना चाहे
उसकी शक्ति है सदा साथ, यह जताना चाहे !
नवरात्र शुभ हों
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार नवरात्र की बहुत बहुत शुभकामनाएँ !
हटाएंबहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
जवाब देंहटाएंनवरात्रि और शरद ऋतु के स्वागत में बहुत सुंदर सरस पंक्तिया।
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹
स्वागत व आभार कुसुम जी !
हटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक रचना सखी। नवरात्र की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सादर
जवाब देंहटाएंआपको भी बधाई अभिलाषा जी !
हटाएंबहुत खूबसूरत, नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार भारती जी !
हटाएंबहुत सुंदर, नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसुंदर और सामयिक
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
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