नए वर्ष में नए नाम के साथ प्रस्तुत है यह ब्लॉग !
हल्का हो मन उड़े
यादों की गठरी ले
तन-मन ये चलते हैं,
कल का ही जोड़ आज
संग लिए फिरते हैं !
कोई तो उतारे बोझ
हल्का हो मन उड़े,
एक बार बिना भार
ख़ुद से फिर आ जुड़े !
असलियत जान वह
राज यही खोलेगा,
प्रियतम है साथ सदा
बात हर तोलेगा !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 08 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
बहुत बहुत आभार यशोदा जी !
सुन्दर रचना
मन स्वयं से जुड़ जाए तो बात ही क्या ...
वाह
वाह!बहुत खूबसूरत सृजन...अनीता जी ।
गहरी बात ...अनीता जी... कोई तो उतारे बोझहल्का हो मन उड़े, एक बार बिना भार ख़ुद से फिर आ जुड़े !...एकदम सत्य
कोई तो उतारे बोझहल्का हो मन उड़े, एक बार बिना भार ख़ुद से फिर आ जुड़े !अच्छी बुरी यादों के बोझ तले दबें हैं ।खुद से मिलने का अवसर ही कहाँबहुत ही लाजवाब।
आप सभी सुधीजनों का स्वागत व आभार ! आज ऐसा लग रहा है जैसे वे पुराने दिन लौट आये हैं, आप सभी का आगमन ब्लॉग जगत के लिए एक शुभ संकेत है
बहुत सुंदर रचना
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 08 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमन स्वयं से जुड़ जाए तो बात ही क्या ...
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूबसूरत सृजन...अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंगहरी बात ...अनीता जी... कोई तो उतारे बोझ
जवाब देंहटाएंहल्का हो मन उड़े,
एक बार बिना भार
ख़ुद से फिर आ जुड़े !...एकदम सत्य
कोई तो उतारे बोझ
जवाब देंहटाएंहल्का हो मन उड़े,
एक बार बिना भार
ख़ुद से फिर आ जुड़े !
अच्छी बुरी यादों के बोझ तले दबें हैं ।
खुद से मिलने का अवसर ही कहाँ
बहुत ही लाजवाब।
आप सभी सुधीजनों का स्वागत व आभार ! आज ऐसा लग रहा है जैसे वे पुराने दिन लौट आये हैं, आप सभी का आगमन ब्लॉग जगत के लिए एक शुभ संकेत है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
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